विषय 2 जून की रोटी
विषय 2 जून की रोटी
2 जून की रोटी का अर्थ है की मेहनत की रोटी कमाना हम कृषि प्रधान देश में रहते हैं।
इसके बावजूद कई गरिबों को दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं हो पाती है गरीब मजबूर लोगों के लिए वैसे तो सरकार कहीं योजना चला रही है जैसे 1 किलो गेहूं ₹1 में ₹1 किलो चावल देती है लेकिन दो वक्त की रोटी के लिए गांव छोड़ शहर आते हैं मजदूरी करने रहने को घर नहीं सड़क किनारे सोते अपना समय निकालते हैं।
कुछ समय पहले की बात है एक बार में एक रिक्शा में बैठी तो चलने के लिए ₹40 मांग रहा था मैंने दूसरे रिक्शा वाले से पूछा तो वह ₹20 में मान गया फिर वह पहले रिक्शावाला बोला मैडम में ले चलता हूं फिर मैंने पूछा तुम ₹40 मांग रहे हो नहीं मैडम में ₹20 में ले चलता हूं।
फिर रास्ते में उसने बताया आज सुबह से कोई भी सवारी मिली नहीं जिससे वह बड़ा परेशान था घर की परेशानी सब बताया तब मुझे लगा मजदूर रिक्शा वाला सब्जी वाला इन छोटे-छोटे लोगों से भाव ताव करके हम क्या बताना चाहते हैं।
बेचारे गरीब है दो वक्त के लिए संघर्ष कर रहे हैं हम लोग मॉल में भाव नहीं कर पाते हैं वहां हम जितना बिल बनता है दे देते हैं। और गरीबों से मोलभाव करते हैं सब्जी वाले से धनिया दे थोड़ी मिर्च दे कम कर इस तरह परेशान करते हैं दो वक्त की रोटी के लिए मेहनत करते हैं वे लोग 2 जून की रोटी के लिए हमेशा संघर्षरत रहते हैं।
लता सेन इंदौर मध्य प्रदेश