आस
आस
इंसान-इंसान से आस लगाए बैठे हैं।
आस पूरी नहीं होने पर,
दिलों में दुख छुपाए बैठे हैं।
इंसान-इंसान से आस करता ही क्यों हैं ?
इंसान में वह शक्ति कहॉं ?
जो शक्ति ईश्वर हैं।
वह किसी में नहीं,
यह बात सभी इंसान,
अच्छी तरह जान ले और मान ले।
आप आप लगानी हैं,
तो ईश्वर से लगाओ।
ईश्वर से लगातार प्रार्थना करो।
एक दिन आपकी लगाई हुई आस,
ईश्वर अवश्य पूर्ण करता हैं।
तो फिर विलंब किस बात का।
ईश्वर से ही आस लगाओ।
झूठी-काया, झूठी-माया,
झूठ यह संसार,
संसार में पति-पत्नी से आस लगाए बैठा,
पत्नी पति से आस लगाए बैठी हैं।
माता-पिता अपनी,
संतानों से आस लगाए बैठे हैं।
संताने अपने माता-पिता से आस लगाए बैठे हैं।
सास-ससुर बहू से आस लगाए बैठे हैं।
बहू सास-ससुर से आस लगाए बैठी
इस संसार का हर रिश्ता,
किसी न किसी से आस लगाए बैठा हैं।
आस पूर्ण नहीं होने पर,
दुख के अथाह सागर में डूबा हैं।
प्रभु के से आस लगाओ,
हर क्षण, हर पल आस पूर्ण होगी।
भवसागर से उद्धार होगा।
श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया
शिक्षिका
भोपाल मध्यप्रदेश