साहित्यकार कवि संगम त्रिपाठी जी के सम्मान में बही काव्य की गंगा
साहित्यकार कवि संगम त्रिपाठी जी के सम्मान में बही काव्य की गंगा
बिलासपुर (छ.ग.) – संकेत साहित्य समिति बिलासपुर इकाई द्वारा राजकिशोर नगर सूरजमुखी- 47 में हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए सतत क्रियाशील व्यक्तित्व साहित्यकार कवि संगम त्रिपाठी जी के सम्मान में काव्य संध्या का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता रमेश चौरसिया ने की। मुख्य अतिथि कवि संगम त्रिपाठी विशेष अतिथि केवल कृष्ण पाठक , विजय तिवारी एवं सफल संचालन हरवंश शुक्ल जी ने किया। गोष्ठी का प्रारंभ सरस्वती मां की पूजा अर्चना के साथ हुआ। संकेत सहित समिति के अध्यक्ष राकेश खरे “राकेश “द्वारा श्री संगम त्रिपाठी जी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुऐ उनके हिन्दी राष्ट्रभाषा बनाने के लिए एकजुटता एवं क्रियाशीलता का परिचय देते हुए साल श्रीफल से सम्मान कर गोष्ठी का शुभारंभ हुआ।
गोष्ठी की बान्दगी कुछ इस तरह थी-
डा सुधाकर बिबे – “सभी मजदूर मजबूर होते हैं ,
श्रम करने को उनके पास धन की कोई थापी नहीं होती
रोज कमाना रोज खाना होती है नियति उनकी
पुस्तो वाली वहां कोई परिपाटी नहीं होती है ”
एन के शुक्ल “अविचल” – परमात्मा हमारे अंदर- बाहर अज्ञान अंधकार मिटाकरदूर करो प्रकाश का पथ प्रशस्त करो
दिनेश्वर राव जाधव – है सफर लंबा मुसाफिर धीरे -धीरे चल
दूर है मंजिल मुसाफिर धीरे-धीरे चल
हरवंश शुक्ल -कवियों की बंदगी और राष्ट्र चेतना जगाते हुए
ट्रैकों ट्रैकों है नोट तस्करी कवियों का झोला होता है
रमेश चौरसिया” राही” – मैंने आवाज दी अब तो आ जाइए
गीत मेरा कोई गुनगुना जाइए
कृष्ण कुमार ठाकुर – कोमल विचारों से सजाकर मन को खुशबूदार कर लो
सतकर्म के फूलों से तन-मन का सुंदर श्रिगार कर लो प्रेम वीणा को सजा निकले मधुर झंकार तुम्हारी
श्रीमती वंदना खरे द्वारा- उन्नत राष्ट् उन्नत भारत का कविता में सुन्दर चित्रण किया गया।
केवल कृष्ण पाठक – थाम ले जो भारी गोवर्धन हाहाकार की घड़ियों में
कब आएगा मुरली वाला अपना ये किरदार लिए
विजय तिवारी ने-छंदो से मधुरता भरी तो अमृत पाठक ने ग़ज़लों से समा बांधी
“है अनियमित बहुत दिनचर्या मेरी इसलिए नाराज है बिटिया मेरी”
गोष्ठी में राकेश खरे “राकेश”, राज कुमार द्विवेदी ” बिंब”, महासिंह ठाकुर ,राजेश कुमार सोनार , श्रीमती कमलेश पाठक, कवि संगम त्रिपाठी जी ने कहा किसी भी राष्ट्र के निर्माण में अपनी एक भाषा होने के लाभ पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सबके राम एक ही राम है अलग- अलग होने का तात्पर्य आपस में दूरियां बढ़ाना दूरियां न हो मधुरता एकजुटता एक दूसरे के हितों का ध्यान रख आगे बढ़ना ही जीवन है। काव्य संध्या देर शाम तक चली। गोष्ठी का समापन राकेश खरे’ राकेश ” द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ ही लेखिका मालती जोशी जी को विनम्र श्रद्धांजलि के साथ मौन रख समापन किया गया