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बहरारे वाली माता

बहरारे वाली माता

बहरारे वाली देवी मां,शिला से बाहर आ मेरी मां।
दर्शन देने को मेरी मां,शिला से बाहर आ मेरी मां।

नौ रूपों में से माता इक तो दिखा दे,
इक तो दिखा दे,
अंखियों में अपनी प्यारी सूरत बसा दे,
सूरत बसा दे,
जीभर के देखा करूं मां,शिला से बाहर आ मेरी मां।

भवनों में आती मैया खुशबू तुम्हारी,
खुशबू तुम्हारी,
हवनों में बन जाती मूरत तुम्हारी,
मूरत तुम्हारी,
अब तो प्रकट हो जा मां,शिला से बाहर आ मेरी मां।

अपने आंचल में मैया मुझको छुपा ले,
मुझको छुपा ले,
अपनी गोदी में मैया मुझको बिठा ले,
मुझको बिठा ले,
सिर पै तू हाथ रखने मां,शिला से बाहर आ मेरी मां।

कैला मैया कहूं या मां दुर्गे काली,
मां दुर्गे काली,
ऊंचे पहाड़ों की तू रहने वाली,
तू रहने वाली,
मेरे भी घर में रहने मां,शिला से बाहर आ मेरी मां।

गीतकार अनिल भारद्वाज एडवोकेट हाईकोर्ट ग्वालियर

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