Search for:

हमारे त्योहार- हमारी

*हमारे त्योहार- हमारी* *सांस्कृतिक धरोहर*
*विधा- आलेख*

हमारे हिंदू धर्म में साल के बारहों महीने कोई न कोई पर्व होता ही है। ये त्यौहार हमें जिंदगी की परेशानियों और उलझनों से कुछ समय के लिए मुक्त करते हैं। हमें खुश होने का अवसर प्रदान करते हैं। तन मन में नई ऊर्जा प्रदान करते हैं। ये त्यौहार हमारी संस्कृति के संरक्षक हैं। त्योहारों के अवसर पर हम अपने पारंपरिक लोकनृत्य- गीत, आदि ललित कलाओं का प्रदर्शन करते हैं। पारंपरिक चित्रकारी द्वारा घर आंगन सजाते हैं। हर अवसर के लिए यहां विशेष गीत बने हुए हैं।
ऐसे ही त्योहारों में से एक त्योहार होली है। यह त्यौहार हर्षोल्लास का त्यौहार है, बसंतोत्सव का त्यौहार है। क्रूर शीत के आतंक से जन जीवन मुक्त हो जाता है। सुखद सरस ऋतुराज बसंत सिंहासन पर विराजते हैं। सभी जीव चराचर ऊर्जित ऊष्मित हो जाते हैं। रोम रोम पुलकित हो जाता है।
होली पर्व का शुभारंभ बसंत पंचमी अर्थात सरस्वती पूजा के दिन से ही हो जाता है। अनेकों प्रकार के फाग गीत वातावरण गुंजित होने लगता हैं।

एक समय ऐसा भी था जब गांव के दालान हर वक्त गुलजार रहते थे। कभी आल्हा- रुदल नाटिका कभी चैती कभी बारहमासा तो कभी फाग गाने का आयोजन होता था।
होली में घर के कमाऊ पूत अपने गांव अवश्य आते थे। बहुत ही खुशी का माहौल होता था। ढोलक, तबला, मृदंग ताशा, हारमोनियम आदि वाद्य यंत्रों के साथ पूरे महीने भर लोग टोलियों में होली गाया करते थे।
अब न तो दालान में कोई मजलिस बैठती है, न कोई गाना बजाना होता है। दालान, आंगन सब सूने पड़े हैं। कारण कमाऊ पूत अब गांव नहीं आते। वे बाहर में ही अपना मकान/फ्लैट खरीद लेते हैं। गांव में रहना पसंद नहीं करते। अब मस्ती में फाग गीत गाते हुए गवैयों की मंडली नजर नहीं आती। उनकी जगह लाउडस्पीकर और डीजे ने ले लिया है। अब होली में हुड़दंग नहीं होते। विशेष प्रकार के पकवानों तथा रंग अबीर से मेहमानों का स्वागत करने की प्रथा लुप्त सी हो गई है।

अपनी सुंदर संस्कृति को इस तरह मरते हुए देखकर मन में बहुत टीस उठती है।
यदि हमारे गांव में या उसकी नजदीक शिक्षा और रोजगार की उत्तम व्यवस्था हो तो हमारा गांव फिर से गुलजार हो सकता है। हमारी संस्कृतियों में प्राण वापस आ सकते हैं।
—***—
मौलिक एवं स्वरचित
सरस्वती मल्लिक
मधुबनी बिहार
संपर्क- 977 1213495

Leave A Comment

All fields marked with an asterisk (*) are required