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महिलाओं का राष्ट के विकास में योगदान”

महिलाओं का राष्ट के विकास में योगदान

नारी नारी सब कहें नारी नर की खान,
नारी से नर होत हैं धुव्र, प्रह्लाद समान।
आज की नारी पुरुषों के कंधा से कंधा मिलाकर चल रही है।आज के युग मे एक महिला घर की रसोई से लेकर ,वायुयान उड़ाने तक,चांद पर पहुचने तक सक्षम है।आज जब भी निस्वार्थ सेवा की बात आती है, मदर टेरेसा का नाम लिया जाता है।
परिवार में योगदान-एक महिला का परिवार में एक महत्त्वपूर्ण स्थान होता है।परिवार को एक सूत्र में बांध रखने का काम सिर्फ एक महिला ही कर सकती है।एक बच्चे की जिम्मेदारी से लेकर सारे परिवार की चिंता उसे रहती है।वह सुबह से रात तक बिना थके,बिना शिकायत के बड़े प्यार से परिवार की देखभाल करती है।एक माँ,बहन,बीबीआदि न जाने कितने रिश्ते निभाती है।
खेल के मैदान में भी वो किसी से कम नहीं है।सीमित व कम साधनों के बावजूद भी अपने करतब से लोहा मनवा लेती है।
रक्षा एवं पुलिस सेवा के क्षेत्र में भी महिला अपने फर्ज से पीछे नहीं हटती।किसी भी मौसम में वह डटी रहती है।
साहित्य ,फिल्म व कला के क्षेत्र में भी महिला का योगदान प्रशसनीय है।चिकित्सा एवं विज्ञान के क्षेत्र में भी वो किसी से कम नहीं है।
सारांश बस यही सत्य है कि महिला राष्ट निर्माण की आधारशिला है।वह समाज की प्रथम अध्यापिका है, यह वो स्तंभ है जिसके ऊपर समाज का,देश का शानदार महल खड़ा होता है।महिला को समान अधिकार और सम्मान प्रदान करके हम एक विकसित औऱ समृद्ध राष्ट का निर्माण कर सकते हैं।ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है जहाँ आज की महिला का योगदान नहीं है।
“नारी को अबला समझने की नही करना तुम भूल,
नारी इस संसार मे जीवन का है मूल।

प्रभा बच्चन श्रीवास्तव
जबलपुर मध्यप्रदेश

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