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औरंगाबाद में चौथे होरहा महोत्सव में साहित्य सेवियों की जुटान

औरंगाबाद में चौथे होरहा महोत्सव में साहित्य सेवियों की जुटान

औरंगाबाद – जिला मुख्यालय औरंगाबाद में सत्येंद्र नगर मुहल्ले में सच्चिदानंद सिंहा महाविद्यालय के अवकाश प्राप्त प्रोफेसर डॉ सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह के आवास पर होली के पूर्व संध्या पर चौथा होरहा महोत्सव का आयोजन किया गया।जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन औरंगाबाद के अध्यक्ष डॉ सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह के नेतृत्व में होरहा महोत्सव में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर डॉ कुमार वीरेंद्र,समकालीन जवाबदेही के प्रधान संपादक डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्रा, जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के महामंत्री धनंजय जयपुरी,सिंहा कॉलेज के अवकाश प्राप्त प्राचार्य डॉ सीएस पांडेय,प्रोफेसर रामाधार सिंह एवं डॉ शिवपूजन सिंह ने महोत्सव में शिरकत किया एवं होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी।संबोधन के क्रम में वक्ताओं ने कहा कि खेत में लगे हुए हरे चने को जड़ सहित उखाड़ कर उसे आग में जब भुनते हैं तो उससे निकली हुई झंगरी होरहा कहलाती है। होरहा के छिलके को निकाल कर उसके दाने को धनिया एवं लहसुन की चटनी के साथ ग्रहण करते हैं तो उसकी जायका बढ़ जाती है। होली के पूर्व इसको ग्रहण करने से औषधि के समान लाभ मिलता है। गर्मी के मौसम में होने वाले रोगों से निजात मिलता है। यह भी कहा कि यह चौथा होरहा महोत्सव है इसके माध्यम से हम वर्तमान पीढ़ी को संदेश देना चाहते हैं कि यह हमारे लोक संस्कृति का हिस्सा है जिसको वर्तमान पीढ़ी भूलते जा रही है।होरहा महोत्सव का जब 25वां आयोजन किया जाएगा तो उसमें पूरे राष्ट्रीय स्तर पर साहित्य सेवियों की जूटान की जाएगी। होरह महोत्सव का संचालन हिंदी साहित्य सम्मेलन के उपाध्यक्ष सुरेश विद्यार्थी ने किया।मौके पर अशोक कुमार सिंह,मुरलीधर पांडेय,अर्जुन सिंह, पुरुषोत्तम पाठक, कवि लवकुश प्रसाद सिंह, अलखदेव सिंह, सहित अन्य उपस्थित थे।

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