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पर्यावरण जागरूकता बौद्धिक एवं काव्य संगोष्ठी संपन्न।

प्रकृति सज संवर कर निखर रही, पर्यावरण एवं जल के प्रदूषण से,हम सबकी हालत सुधर रही –
पर्यावरण जागरूकता बौद्धिक एवं काव्य संगोष्ठी क आयोजन पूर्व आईएएस. अधिकारी डॉ.कमल टावरी – सन्त कमलानन्द जी मुख्य अतिथि के गरिमामयी उपस्थिति में संपन्न –
लखनऊ महानगर के ट्रान्सपोर्ट नगर, लेबर चौराहा, पार्किंग नंबर- 5 के निकट पर्यावरण जागरूकता बौद्धिक एवं काव्य संगोष्ठी एवं पर्यावरण जागरूकता स्मृति सम्मान समारोह का आयोजन मिशन जामवंत से हनुमान जी के प्रमुख संरक्षक एवं मुख्य अतिथि स्वामी कमलानन्द – डॉ.कमल टावरी के गरिमामयी उपस्थिति में शुभ उदघाटन पूर्व विधायक सिंहासन सिंह ने किया। मिशन जामवंत से हनुमान जी के प्रदेश संयोजक कवि इंद्रजीत तिवारी निर्भीक के प्रमुख संयोजन/ संचालन में, कवि रविद्र पाण्डेय निर्झर एवं श्रीप्रकाश कुमार श्रीवास्तव गणेश के स्वागत संरक्षण एवं डॉ.पारसनाथ श्रीवास्तव के संयोजन में मंचीय एवं आनलाईन 108 विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोगों पर्यावरण जागरूकता स्मृति सम्मान भेंट किया गया। जिसकी अध्यक्षता कवि सच्चिदानंद तिवारी शलभ ने किया। दो सत्र में संपन्न हुए उक्त आयोजन के प्रथम सत्र में कवि सम्मेलन में डॉ.मधु चौबे भू देवी ने- प्रकृति सज संवर कर निखर रही, पर्यावरण एवं जल प्रदूषण से हम सबकी हालत बिगड़ रही, रविन्द्र पाण्डेय निर्झर ने -हैरो कल्टीवेटर, ट्रैक्टर, खुरपी, गैंती ,क्या जाने, सांवा, कोदो ,अरहर, सरपत,कुश की पैती क्या जाने, डॉ.पारसनाथ श्रीवास्तव ने – सुखमय जीवन जीने के लिए पर्यावरण एवं जल को शुद्ध बनाना होगा, गांव, नगर,गली, नुक्कड़ पर,हम सबको आवाज उठाना होगा, मनमोहन बाराकोटी-तमाचा लखनवी ने -पत्ते पत्ते सड़ रहे, उजाड़ रहे सब खेत, कैसी आ रही आपदा, कैसा यह संकेत,महेश अस्थाना प्रकाश बरेलवी ने -पर्वत से स्वच्छ मैं चली लेकर स्वच्छ शरीर, मानव मुझको है किया मैला, कचरा , तीर, कृष्णानंद राय गंगा सेवक ने -धरती मईया करेली पुकार,हाली-हाली पौधा लगाव, शीला वर्मा मीरा ने -पृथ्वी देखो कर रही कितना हाहाकार, स्वच्छ हवा ही चाहिए समझे ये संसार, सुनीता चतुर्वेदी सुधा ने – पर्यावरण एवं जल की शुद्धता का गीत गाती रहूंगी, आखिरी श्वांस तक,यह आवाज उठाती रहूंगी, औषधि पण्डित रंगबहादुर सिंह ने – हम सब चलें खुद जागरूक हो और सबको जगाने के लिए, पर्यावरण और जल को शुद्ध बनाने के लिए, विनोद कुमार गुप्त भावुक ने -इस बरस उनके बदन की गुड डिजाईन हो गयी,कल तलक शर्बत रही जो, आज वाईन हो गयी, विनय पाण्डेय बहुमुखी ने -कब तलक हम सब पर्यावरण प्रदूषण बढ़ाते रहेंगे, इंद्रजीत निर्भीक ने – महंगाई है तेज ना करिए दिल को छोटा,खर्च ना करिए नोट न करिए मन को खोटा, तेजस्वी अवस्थी हरदोई ने -होकरके नारी पानी, गोरों को पिला दिया था, मर्दानी झांसी वाली को शत् शत् बार प्रणाम है सहित अनेकों रचनाओं ने पर्यावरण एवं जल की शुद्धता के लिए श्रोताओं को झकझोरा। उपरोक्त रचनाकारों के अतिरिक्त निर्भय निश्छल, गिरीश पाण्डेय, सिद्धनाथ शर्मा सिद्ध, जयशंकर सिंह, डॉ.राधा बिष्ट,मधु पाठक मांझी, मोहन बिष्ट, ओमप्रकाश पाण्डेय निर्भय,मुकेशानन्द ट्री मैन, सन्तोष हिंदवी, दिव्येंद्र उपाध्याय,शैलजीत सिंह, डॉ.सुबाषचंद्र,अनिल कुमार सिंह खरगापुर, अरूण कुमार सिंह,आई.वी.मारला- जर्मनी, डॉ. जयप्रकाश तिवारी, विनय पाण्डेय बहुमुखी, यशवन्त यादव सहित अनेकों रचनाकारों ने काव्य पाठ किया।
दूसरे सत्र में बौद्धिक संगोष्ठी में मुख्य अतिथि डॉ.कमल टावरी – स्वामी कमलानन्द ने कहा कि विश्व गुरु भारत की गरिमा को गौरवान्वित करने के हम सबको स्वावलंबी बनने की आवश्यकता है।जो भी साधन, संसाधन है।उसके अनुसार अपने को सूझ -बूझ के साथ अपनी खेती, अपना बीज, अपना सबकुछ व्यवस्था करने पर जोर देने की जरूरत है।
स्वागत संबोधन राष्ट्रीय संयोजक सूर्य कुमार सिंह, विनय पाण्डेय बहुमुखी एवं यशवन्त यादव ने किया।
धन्यवाद आभार डॉ. रविन्द्र पाण्डेय निर्झर एवं डॉ.पारसनाथ श्रीवास्तव ने संयुक्त रूप से किया।

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