करवा चौथ
करवा चौथ
सजन मोरी सितारों से जड़ी है
लाली चुनरियाँ।
सजन मोरी चम- चम चमके है
लाली चुनरियाँ।
प्रेम के रंग से रंगी हुई है यह मनभावन
लाल चुनरियाँ ।
ज्यों ज्यों जीवन बीत रहा है और भी चमके
मोरी चुनरियाँ।
सप्तपदी और सात वचन ले तुझसे जीवन
डोर बँधाई थी।
अग्नि के समक्ष सात फेरे ले साथ
मैं तेरे आई थी।
कोमल तन और कोमल मन की आशा
तुमसे जुड़ती गई।
तुम बन गए मेरे प्रेम के दीपक मैं निस्कंप बाती
सी जलती गई।
मेरी सारी दुनिया ही तेरे चारों
ओर सिमटती गई।
अमर लती सी बन के साजन तुझसे ही
मै लिपटती गई।
पूर्ण समर्पित हूंँ मैं तुमको तुम ही हो मेरा
आधार पिया।
प्रेम सुधा तुमने इतनी बरसाई भीग गई मैं
सारी पिया।
भूल गई मैं अपना सब कुछ भूल गई
मायके की डगरिया।
तुम ही मेरे कृष्ण कन्हैया तुम ही मेरे
गिरधर छलिया।
तुम से ही करवा चौथ है सजता तुम ही
चँदा बनके चमके।
नैनो का कजरा, माथे की बिंदिया ,हाथ में
चूड़ी बनकर खनके।
तेरे ही प्यार के फूलों से मैंने बालों
का शृंगार किया।
तुम बन गए पतंग मेरी मुझे डोर
बनाकर बाँध लिया।
अपने साथ मेरे सपनों को भी उड़ने का
परवाज दिया।
मोहपाश मे बाँधकर मुझको जादू मुझ पर
डाल दिया।
कृष्ण बन गए मेरे जीवन के रुकमणी
मुझको बना लिया।
सात जन्म का नाता हमने तो एक दूजे
से जोड़ लिया ।
सजन मोरी सितारों से जड़ी है
लाली चुनरियाँ।
ज्यों ज्यों जीवन बीत रहा है और भी चमके
मोरी चुनरियाँ।।
*ऊषा जैन उर्वशी कोलकाता*