आदि कवि महर्षि बाल्मीकि जी महाराज की जयंती __साहित्यकार दिवस__के रूप सोल्लास मय वातारण में मनाई गई।
आदि कवि महर्षि बाल्मीकि जी महाराज की जयंती __साहित्यकार दिवस__के रूप सोल्लास मय वातारण में मनाई गई।
बक्सर, १७/अक्टूबर, २०२४, श्रीमद् रामायण के रचयिता, आदि कवि__महर्षि वाल्मीकि जी महाराज की जयंती __साहित्यकार दिवस के रूप में _ भोजपुरी दुलार मंच, एवं प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा, भारत के क्रमशः ___राष्ट्रीय अध्यक्ष, और सलाहकार_ डा०ओम प्रकाश केसरी पवननन्दन के संयोजन__सह__संचालन में, वरिष्ठ अधिवक्ता, बक्सर टूडेके सम्भावित सम्पादक, रामेश्वर प्रसाद वर्मा जी की अध्क्षता में, साथ ही वरिष्ठ चिकित्सक, समाजसेवी, डाल महेन्द्रप्रसाद जी, न०प०के पूर्व चेयरमैन, सह वरिष्ठ समाजनेत्री,श्रीमती मीना सिंह जी के द्वारा, __आदि कवि महर्षि वाल्मीकि जी के तैल चित्र की पूजा अर्चना के साथ भावमय रुप से श्री गणेश किया गया.
सोने पे सुहागा के रूप में शरद् पूर्णिमा एवं वृन्दावन में भगवान श्री जी द्वारा रचाये गये महारास को भी स्मरण किया गया.
उद्धघाटन कर्ता द्वय महानुभावों द्वारा महर्षि वाल्मीकि जी के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए, बताया गया कि, महर्षि वाल्मीकि जी ने ऐसा अमूल्य ग्रंथ__श्री रामायण जी को हम सभी को सौंपे जो पूरे विश्व की अमूल्य निधि है. वियोग साहित्यकार की निधि होती, उनकी जयंती को साहित्यकार दिवस के रूप मनाना बिल्कुल
वाजिब है,हर साहित्यकार को महर्षि वाल्मीकि जयंती को साहित्यकार दिवस के रुप में मनाना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय ने उद्धघाटन कर्ताओं की बातों ह्दृयगंम करते हुए, अपनी बातों आगे बढाते हुए, जयंती एवं दिवस पर विस्तार से चर्चा किये.
मान्य अथितियों में___गणेश उपाध्याय जी, डा० शशांक शेखर जी, शशि भूषण मिश्रा, शिव बहादुर पांडेय प्रीतम, रामेश्वर मिश्र विहान, महेश्वर ओझा महेश, ई०रामाधार सिंह, राजा रमण पांडेय, मिठास, विनोधर ओझा, लक्ष्मण जी जायसवाल, ललित नारायण मिश्र, सुहाग, अतुल मोहन जी,सहित अन्य उपस्थित बन्धुओं एवं साहित्यकार महानुभावों ने __महर्षि वाल्मीकि जी को नमन करते हुए, अपने___अपने मुखार हिन्द से महर्षि वाल्मीकि जी के बारे में एवं साहित्यकार बन्धुओं के विषय में अपनी बातोंको बडे ही सार गर्भित शब्दों में सभी के साझा किये. कुछ साहित्यकारों ने अपनी कविता से भी अपनी बातों को सभा पटल पर रखें.
संचालन कर्ता ने सभी उपस्थित बन्धुओं का अभिवादन करते हुए, ____ पहले दो मुक्तक
एक दशहरा से सम्बन्धित ___
पुतल जला देने ,रावण भी भला मरता है,
हर साल रावण मरता है, हर रोज वह पैदा होता है.
और दूसरा मुक्तक _____
साहित्यकार दिवस पर__
प्रेरक होते हैं,समाज के साहित्यकार,
भावनाओं अपनी शब्दों से, देतें है आकार.
जीवन के उबड__खाबड राहों के होकर पथिक,
मानवता के महान युगदृष्टा होते हैं साहित्यकार.
आगे संचालक ने कहा कि तमसा नदी के तटपर मिथुन रत क्रौंच पक्षी के नर पक्षी बहेलिया ने अपने तीर से वध कर दिया अपने प्यारे की मृत्यु से मर्माहत होकर, मादा पक्षी ह्दयविदारण आर्तनाद से महर्षि वाल्मीकि जी का कलेजा विदीर्ण हो गया और निकल गया अनायास___उनके मुख से____मा निषाद_____अनुपुष्ट छंद __और यही छंद श्री रामायण जी का सूत्रों बन गया. नारद जी एवं ब्रह्मा जी की आज्ञा से महर्षि वाल्मीकि जी ने रच डाला संस्कृत में____श्रीमद् रामायण.
वेदना, दिल पर लगी चोट ही साहित्यकार की पूंजी होती है. कवि महर्षि वाल्मीकि जी की जयंती से बढकर कोई दिन नहीं ____साहित्यकार दिवस मनानेके लिए, अत: इस विज्ञप्ति के माध्यम से हम सभी साहित्यकार बन्धुओं से निवेदन एवं विन्रम अनुरोध करता हूँ कि आप सभी महर्षि वाल्मीकि जी महाराज जी की जयंती साहित्यकार दिवस मनाने की मन में ठान ले और हर वर्ष साहित्यकार दिवस मनाने का संकल्प कर लें.
आज ही शरद् पूर्णिमा भी है,मान्यता है, कि भगवान चन्द्रमा अपनी सम्पूर्ण कलाओं से परिपूर्ण होकर घरती के निकट अपनी अमृतमयी धारा से सभी अप्लावित करते हैं, कहा जाता है कि इस रात में खीर बनाकर रखने से वह दमा के मरीजों के दवा बन जाता है, जिसे रोज खाने से बीमारी कम खत्म हो जाती है.
यह भी मान्यता है कि इसीरात में भगवान श्री कृष्ण जी महाराज द्वारा वृन्दावन में महारास रचाया गया था, तो आज के इस पावन पूर्णिमा की महानता बहुत ही विशेष एवं महत्त्वपूर्ण है.
और यह भी जान लें, केवल यही एक पूर्णिमा नहीं ___वरन् बारह महीनों बारहों पूर्णिमायें___ बारह महान धार्मिक,सांस्कृतिक, ऐतिहासिक,पौराणिक, साहित्यिक हस्तियों की जयंती मनाई जाती है।
जय महर्षि वाल्मीकि जी, जय श्री रामायण जी, जय महारास जी और जय साहित्यकार बन्धुओं.