आज का भारत आज की नारी (आलेख)
आज का भारत आज की नारी (आलेख)
कर्मठ अधिनायक जनहित कर्म करे,
वही देश उन्नति पथ पर रहे नित अग्रसरे।
नर नारी कर्तव्य निष्ठ शीलवान जहाँ,
साक्षात देव नारायण विराजते वहाँ।
उक्त चार पंक्तियों में खुशहाली एवं प्रगति का सार निहित है। प्राचीन काल में विश्व गुरु पदवी से विभूषित भारत के गौरव का आज सकल विश्व में डंका बज रहा है। अब भारत विश्व पटल पर कर्मठ जननेता के नेतृत्व में निपुण, कर्तव्यशील, देशहित में सजग, प्रेममय आचरण एवं सहृदयी सहयोग के लिए जाना जाता है। अतीत में सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत ने अपने गौरवमयी इतिहास संस्कृति, संस्कार, अनमोल नैतिकता के आधार पर विदेशी अधिनायकों के हृदयों पर विशिष्ट छाप छोड़ी है।
पूर्व काल में भारत की जमीन हड़पने वाले चीन पाकिस्तान जैसे देशों को भारत की सबल सेना ने सबक सिखाया है। गलवान घाटी की मुठभेड़ से भारत को आँखें दिखाने वाले, धोखेबाज चीन देश में भारतीय आधुनिक सशस्त्र सेना बलों के साहस शौर्य दिलेरी के सामने अब आँख उठाकर देखने का साहस नहीं है। परमाणु हथियार एवं तेजस, राफेल विमान जैसे आधुनिक हथियारों से लैस भारतीय सेना में शौर्य की अद्भुत क्षमता, सिंह सा मनोबल, हिमालय सा अटल साहस भरा है।
सन इक्कीस सौ बीस में कोरोनावायरस के कारण सकल विश्व में त्राहि-त्राहि मच गई थी। ऐसे समय में *हमारे देश ने संक्रमण रोकने के लिए सबसे पहले वैक्सीन तैयार कर विदेशी अधिनायकों को अपनी वैज्ञानिक सृजन क्षमता का परिचय दिया। साथ ही एक अरब पैंतीस करोड़ जनता को भारतीय सबल लोकतंत्र का अहसास कराया। विकट स्थिति का सामना सूझबूझ से करते हुए प्राकृतिक आपदाओं में प्रबंधन के द्वारा विदेशों को शीघ्र सहायता प्रदान की। अनेक विदेशी देशों को क्लोरोफिल दवा भेजने के साथ ही कोरोना वैक्सीन भेजकर हर संभव मदद पहुँचाई गई।
इसी प्रकार परमाणु परीक्षण किए गए। आत्मनिर्भर बनने के लिए चीन से वस्तुओं के आयात पर अंकुश लगाया। औद्योगिक विकास के लिए नवीन कल कारखाने एवं उत्पादन पर विशेष रणनीति बनाई। *आर्थिक रूप से सक्षम एवं विकास कार्यों में उद्योग धंधे, कपड़ा,परिवहन,कृषि,संचार, टैक्सटाइल जैसे अनेक क्षेत्रों में यथेष्ठ उन्नति प्राप्त की। साक्षरता हेतु सकारात्मक दृष्टिकोण से लोगों को शिक्षित करने के लिए अनेक योजनाएं बनाई। रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये गये । गरीब तबके के लोगों को मुफ्त सरकारी राशन एवं पैंशन की सुविधाएं उपलब्ध कराई।
भारत विविधताओं का देश है। विभिन्न धर्म संस्कृति के कारण धर्मनिरपेक्ष भारत अनेकता में एकता की मिसाल है।
*अयोध्या में न्याय के लिए तरसते सदियों से बंद पड़े रामलला के राममंदिर एवं काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार एवं निर्माण कार्य कुशलता से सम्पन्न हुआ। *आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर उज्जवल भविष्य की ओर अग्रसर,सबल सुदृढ़ आज के भारत देश की सफल कूटनीति सकल विश्व के लिए अनुकरणीय है।
ऐसे गौरवशाली परंपरा का निर्वहन करने वाले भारत देश में आज की आधुनिक भारतीय नारी ने सर्वांगीण विकास किया है।
हमारे शास्त्रों में नारी शक्ति सृजनशीलता की शक्ति कही जाती है। नारी के बिना सृष्टि सृजन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इस ब्रह्माण्ड के रचयिता परम कल्याणकारी भगवान शिव को माता पार्वती के साथ एकनिष्ठ रूप में हम अर्द्धनारीश्वर रूप मेें देखते हैं। एक दूसरे के पूरक शिव और शक्ति नर और नारी के प्रतीक हैं।
शास्त्रों में वर्णन किया गया है कि-
“यत्र नार्यस्तु पूज्यंते,
रमन्ते तत्र देवता”।
अर्थात जहाँ नारी का सम्मान किया जाता है वहां पर देवता निवास करते हैं। भारत में प्राचीन काल से नारियों का सम्मान किया जाता रहा है। अनुसूया, अपाला, मैत्रेई, गार्गी, लोपामुद्रा जैसी नारियाँ उस समय में परम विदुषी एवं सम्मानित महिलाएं थीं। एवं आधुनिक युग की भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी,सुषमा स्वराज जी, इनमें गजब की नेतृत्व क्षमता थी। इसके अलावा शीला दीक्षित, नजमा हेपतुल्ला, अरूणा आसिफ अली ,संगीत साधिका लता मंगेशकर जी, रजत पट नायिका हेमा मालिनी, कवयित्री लेखिका महादेवी वर्मा जी, आर्थिक क्षेत्र में इंदिरा नूई जी, खेल जगत में मैरी कॉम,पी वी सिंधू, हिमा दास, एवं अन्य अनेक महिलाओं की बहुमुखी प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं है। इन सम्मानित स्त्रियों के उत्कर्ष कार्य एवं अनुकरणीय आचरण समाज में अति विशिष्ट महत्व रखतें हैं।
चूँकि, आज परिवर्तन का दौर है। पहले समय की अधिकांश महिलाओ की भूमिका सारी उमर घर गृहस्थी के घरेलू कामकाज सुचारू रूप से करने की होती थी। इसीलिए वे चूल्हे चक्की के कार्य निपटाते हुए, वंशवृद्धि हेतु बच्चों को जन्म देकर पालने पोसने तक सीमित थी। लेकिन अब आधुनिक समय में परिवर्तन विकास का द्योतक है। अतः महिलाओं की शिक्षा के लिए समाज, परिवार, एवं सरकार द्वारा उन्हें आगे बढ़ने हेतु प्रोत्साहित किया जाता है। साथ ही उन्हें शिक्षा के अधिकार द्वारा बेहतर रोजगार उपलब्ध कराये गये। इस कारण देश की अर्थव्यवस्था में सुधार करने में महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
आज मनःस्थिति में बदलाव होने से महिलाओं ने मुखर होकर समाज की व्यर्थ रोक-टोक को विकास में बाधक मानकर तिलांजलि दे दी। महिलाओं ने व्यक्तिव व्यवहार के दोष लाज,शर्म घूँघट के परदे हटा दिये। पाबंदी की बेड़ियां तोड़कर घर से बाहर कदम बढ़ाए । *अब वे अपनी प्रतिभा के बल पर घर से बाहर निकल कर पुरुषों के कंधों से कंधा मिलाकर काम करने लगीं है। गुणों की खान नारी घर और कार्यालय में सामंजस्य स्थापित कर नये कीर्तिमान गढ़ रही है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा सार्थक हो रहा है। क्योंकि अब वे प्रत्येक क्षेत्र में सफलता का परचम लहरा रही हैं। उनकी विशेषज्ञता, उनका अतिशय परिश्रम एवं विवेक शीलता से लिए गए निर्णय से उन्नति उनके कदम चूम रही है।
सामाजिक-आर्थिक घरेलू परिस्थितियों में सामंजस्य स्थापित कर अब महिलाएं आत्मनिर्भर बनने लगीं हैं। इसी कारण आर्थिक स्थिति सुधारने में, एवं परिवार चलाने में उनके नौकरी ने उनके परिवार को आर्थिक संबल प्रदान किया है। अब महिलाओं को शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, आर्थिक, उन्नति के शिखर पर अग्रसर भोग विलास ऐशों आराम की अनेक सुविधाएं प्राप्त हैं। इसी कारण उनके रहन-सहन खान-पान के स्तर में सुधार आया है।आज समाज में नारी की भूमिका केवल भोग की वस्तु नहीं रही है, वरन् धर्मपत्नी के रूप में, धर्म कर्म की कसौटी पर खरी उतरने वाली, पति का साथ निभाने वाली, मोक्ष पथ की ओर ले जाने वाली सफल अर्द्धांगिनी की है।
*आज की महिलाएं कार्यालयों में उच्च पद पर कार्यरत हैं। रोजगार के अवसर तलाश करते हुए उन्होंने इस दिशा में अनेक संभावनाओं को जन्म दिया है।अपने रोजगार एवं उद्योग धंधों के सफल व्यापार द्वारा अनेक महिलाओं एवं पुरुषों को काम देकर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये है।
*आज वे जल थल सेना,वायु सेना जैसे अति महत्वपूर्ण क्षेत्र में उच्च पदों पर आसीन हैं।
*वे हवाई जहाज उडाने से लेकर रेलगाड़ी,बस ट्रक, चलाने में निपुण हैं प्रत्येक वर्ष आठ मार्च को हम अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाते हैं।इस दिन की विशेषता में आधी आबादी को समर्पित करते हुए चार पंक्तियां कहना चाहती हूँ
*कदम बढ़ा कर आगे बढ़ना सीखा है,
*परिश्रम तकदीर के पन्नों पर लिखा है।
*आज की सबला नारी सब पर भारी है,
*अबला नहीं है नारी,न कहना बेचारी है।
सीमा गर्ग मंजरी,
मेरठ कैंट उत्तर प्रदेश