पर्यावरण दिवस (5 जून)
पर्यावरण दिवस (5 जून)
मस्तिष्क में चढ़ा लापरवाही का,ऐसा देखो आवरण।
दोषी हैं हम प्रदूषित करते, अपना ही पर्यावरण।।
पेड़-पौधे जीवन में रखते,अपना महत्व विशेष।
जीने का मूलमंत्र सिखा कर, देते हमें उपदेश।।
स्वयं न खाकर हमको देते, फल-फूल के उपहार।
जीवन में कभी चुका न सकते,हम इनका उपकार।।
जिंदगी की आधार शिलाएं, बहुत ही महत्वपूर्ण तीन।
सुरक्षित संरक्षित रखने होंगे,हमें जल-जंगल-जमीन।।
सरिताओं को निर्मल रखना होगा, सुरक्षित रहेगी धरा।
वरना किया धरा आपका, रह जाएगा धरा का धरा।।
दूषित मानसिकता दूर कर,ऐसा वातावरण बनाना होगा।
मिलकर देशवासियों को,जल एवं पर्यावरण बचाना होगा।
रचयिता: डाॅ.जगदीश चंद्र वर्मा
(राष्ट्रपति एवं अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कृत शिक्षक)
गाजियाबाद (उ. प्र.),मो: 9761709361