टीएमयू दुर्लभ जैन ग्रंथों के अनुवाद में करेगी मदद: कुलाधिपति
टीएमयू दुर्लभ जैन ग्रंथों के अनुवाद में करेगी मदद: कुलाधिपति
राष्ट्र संत डॉ. गुप्तिसागर मुनिराज के सानिध्य में दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय कुलाधिपति एवम् कुलपति सम्मेलन में तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन और वीसी प्रो. वीके जैन की रही उल्लेखनीय मौजूदगी
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के कुलाधिपति श्री सुरेश जैन ने अति महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए कहा, तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी दुर्लभ जैन ग्रंथों का अनुवाद करने में अहम रोल अदा करेगी। उल्लेखनीय है, स्वामी महावीर के काल में प्राकृत भाषा चलन में थी। यदि प्राकृत भाषा के दुर्लभ जैन ग्रंथ हिन्दी, अंग्रेजी के संग-संग दीगर भाषाओं में अनुदित हो जाएंगे तो वैश्विक स्तर पर जैन शोधार्थियों के लिए यह वरदान साबित होगा। कमिटमेंट को सफलता का पर्याय बताते हुए कुलाधिपति बोले, प्रतिबद्धता को हरेक इंसान को जीवन में आत्मसात करना चाहिए। कमिटमेंट व्यक्तिगत और व्यावसायिक कामयाबी के लिए अनिवार्य है। साथ ही बोले, कमिटमेंट के संग बड़ी सोच और बड़े सपनों से ही आप जीवन में आगे बढ़ेंगे, इसीलिए ज्ञान के संग-संग कमिटमेंट के प्रति ईमानदारी ज़रूरी है। उन्होंने मुनिराजश्री के हर आदेश का अक्षरशः पालन करने की प्रतिबद्धता जताई। वह दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस में राष्ट्र संत डॉ. गुप्तिसागर मुनिराज के सानिध्य में आयोजित राष्ट्रीय कुलाधिपति एवम् कुलपति सम्मेलन में बोल रहे थे। इस सुअवसर पर कुलाधिपति को शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। स्मृति चिन्ह भी दिए गए। मुनिराजजी ने श्री सुरेश जैन को पुस्तकों का एक सेट भी भेंट किया। सम्मेलन में संतश्री की पुस्तकों का लोकार्पण भी हुआ। कार्यक्रम में एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन और टीएमयू के वीसी प्रो. वीके जैन की भी ख़ास उपस्थिति रही। संचालन प्रो. नलिन के. शास्त्री ने किया।
राष्ट्रीय सम्मेलन में बोलते हुए वीसी प्रो. वीके जैन ने अपने सारगर्भित संबोधन में जैन छात्रों के लिए टीएमयू में चल रही कल्याणकारी योजनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा, तीर्थंकर महावीर यूनीवर्सिटी में संस्कारमय शिक्षा दी जाती है। जीवन में हार्ड वर्क और टेक्नोलॉजी नॉलेज के संग-संग अच्छा इंसान बनना भी जरूरी है। उन्होंने जीवन में गुरू के महत्त्व पर भी प्रकाश डाला। प्रो. जैन ने अपने संबोधन में संस्कृत और हिंदी कविता के जरिए भी अपनी भावनाएं व्यक्त की। विकसित भारत के लिए जैन धर्म के सिद्धांतों पर भी विस्तार से प्रकाश डाला। सम्मेलन में तीर्थंकर महावीर यूनीवर्सिटी के कुलाधिपति श्री सुरेश जैन के अलावा कोर विवि- रुड़की के श्री जेसी जैन, एकलव्य विवि की चांसलर डॉ. सुधा मलैया की भागीदारी रही, जबकि दिल्ली यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। देश-विदेश के शिक्षाविदों ने ब्लेंडेड मोड में उदय विकसित भारत कारू जैन धर्म एवम् दर्शन का योगदान पर भी अपने विचार व्यक्त किए।