होली सुखद यादों की होली
होली सुखद यादों की होली
होली मैं उन सुखद यादों की होली
लीलाएं श्री राधा कृष्ण, सीता राम, शिव पार्वती,
प्रहलाद होलिका की फाग के
गीतों में माँ-दादी से सुनते थे
बचपन में रंग भरी पिचकारियों से
सबको सराबोर करते थे
माँ के हाथ की बनी पोशाकों में
हँसते इतराते झूमते गाते थे
होली का इन्तजार सारे साल करते थे
आज सालों साल बीत गये
हर होली के रंग अनायास ही
मुझ पर छूट गये
अब फिर होली आयी है,
मन में उमंग उत्साह लायी है
खेतों में गेहूं-सरसों फल-फूल रहे हैं
आम की बौर भी सुगन्ध छोड़ रहे हैं
हर तरफ मनभावन ऋतु छाई है
मन में यही बात आई है फिर से बनायेंगे
मित्रों और रिश्ते नातेदारों की टोली
अपनत्व के रंग-बिरंगे रंग लगायेंगे
स्नेह के गुलाल से खेलेंगे होली
गुजिया और पकवान बना सब
होली और फाग गायेंगे
होलिका दहन में नफरत और
वैमनस्य को जला कर
हर तरफ प्रेम सौहार्द का
त्योहार और जश्न मनायेंगे
होली पर गले मिलकर
पर्व का आनन्द पायेंगे।।
शीलू जौहरी
भरूच (गुजरात)