गद्य प्रवाह समूह की ऑनलाइन गूगल गोष्ठी सफलतापूर्वक संपन्न हुई
गद्य प्रवाह समूह की ऑनलाइन गूगल गोष्ठी सफलतापूर्वक संपन्न हुई
( कहानी के शिल्प विधान में चेतना और बुद्धि के साथ है कल्पनाशीलता का भी प्रभाव आवश्यक है )
शहडोल – दिनांक 21 -3- 24 को गद्य प्रवाह समूह की ऑनलाइन गूगल गोष्ठी का प्रारंभ पूर्ण गरिमा के साथ है सुश्री साधना शुक्ला जी ने के कुशल संचालन से हुआ । सुश्री हंसा श्रीवास्तव जी ने स्वरचित सरस्वती वंदना का सुमधुर कंठों से गायन करके कार्यक्रम को गति प्रदान किया। तत्पश्चात सुश्री साधना शुक्ला जी ने उपस्थित अध्यक्ष महोदय श्री सुरेश पटवा जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए पुष्प गुच्छों से उनका स्वागत किया। सुश्री नीरू शूद जी ने पटल पर उपस्थित सभी साहित्यकारों का सधे हुए शब्द पुष्पों से स्वागत, वंदन और अभिनंदन किया।
आज की कहानीकार सुश्री ऊषा चतुर्वेदी जी तथा लक्ष्मण प्रसाद डेहरिया जी के कहानी का वाचन किया गया। लक्ष्मण प्रसाद डेहरिया जी की नेत्रहीनता के कारण उनके कहानी ‘हैसियत’ का वाचन सुश्री जनक कुमारी सिंह बघेल जी ने किया, तथा ‘समय की करवट’ शीर्षक से सुश्री ऊषा चतुर्वेदी जी ने कहानी का वाचन किया। इन्होंने अपने कथ्य, भाषा और शैली से श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया।
कहानी की समीक्षा ‘समय की करवट’ सुश्री कमल चंद्र जी ने, कहानी के सभी पहलुओं की परतें खोलने हुए किया तथा ‘हैसियत’ कहानी की समीक्षा प्रेमचंद गुप्ता जी ने किया।
उन्होंने कहा “कहानी, जब प्रारंभ,चरम और अंत, तीनों चरणों को ध्यान में रखकर लिखी जाती है तभी संपूर्णता प्राप्त करती है।
अध्यक्षीय उद्बोधन में श्री सुरेश पटवा जी ने कहानी के इतिहास पर चर्चा करते हुए कहा – कहानी, कहन, पठन, छंद और रहन के सूत्र में बंधी होनी चाहिए। इसी तारतम्य में उन्होंने जयशंकर प्रसाद की कहानी सुना कर लेखन कला पर प्रकाश डाला और कहा कहानी के शिल्प विधान में चेतना बुद्धि के साथ ही कल्पनाशीलता का भी प्रभाव आवश्यक है।” कहानी लिखने से पहले उन्होंने पढ़ने पर भी जोर दिया।
बाद में सुश्री जनक कुमारी सिंह बघेल ने पुस्तक परिचर्चा के लिए प्रस्ताव रखा, जिसका सभी उपस्थित साहित्यकारों ने खुले दिल से स्वीकृत प्रदान किया।
अंत में सुश्री सुनीता मिश्रा जी ने आभार अभिव्यक्त करके कार्यक्रम का समापन किया और शांति पाठ के साथ अगले कार्यक्रम तक के लिए गोष्ठी को विराम दिया गया। इस तरह सुश्री शेफालिका श्रीवास्तव जी के कुशल समायोजन से गोष्ठी सफलतापूर्वक संपन्न हुई।