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विनय हमारी

विनय हमारी जय शिव शंकर जय त्रिपुरारी सुन लीजो प्रभु विनय हमारी औघड़ दानी घट- घट वासी मेटो तन की सभी उदासी लीलाधर प्रभु लीला न्यारी जय शिव शंकर जय त्रिपुरारी सुन लीजो प्रभु विनय हमारी राम नाम तन भस्म रमाए गले सर्प की माल सुहाए कर त्रिशूल है प्रलयंकारी [...]

राज भाषा हिंदी के 75 वर्ष विषय पर संगोष्ठी संपन्न

राज भाषा हिंदी के 75 वर्ष विषय पर संगोष्ठी संपन्न लखनऊ/खीरी, केन ग्रोअर्स नेहरू डिग्री काॅलेज, गोला गोकर्णनाथ-खीरी में पं.दीनदयाल उपाध्याय सभागार में उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान लखनऊ व केन ग्रोअर्स नेहरू डिग्री काॅलेज, गोला गोकर्णनाथ खीरी के हिन्दी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में ’’राजभाषा हिन्दी के 75 वर्ष’’ विषय [...]

3-5 दिसम्बर को हरिद्वार में होगा साहित्योदय का भव्य शिवायन साहित्य महोत्सव

3-5 दिसम्बर को हरिद्वार में होगा साहित्योदय का भव्य शिवायन साहित्य महोत्सव 1• देशभर से जुटेंगे सैकड़ों साहित्यकार और कलाकार 2• द्वादस ज्योर्तिलिंग को समर्पित बारह सत्रों में होगा काव्याभिषेक 3• शिवशक्ति पर आधारित शिवायन महाकाव्य ग्रँथ समेत एक दर्जन पुस्तकों का होगा विमोचन अंतरराष्ट्रीय साहित्य कला संस्कृति न्यास साहित्योदयके [...]

बूँद-बूँद को तरसी धरा, जीवन संकट आया

बूँद-बूँद को तरसी धरा, जीवन संकट आया प्यास थी आसमान की, धरती को तरसाया, बूँद-बूँद को तरसी धरा, जीवन संकट आया। प्यास थी नदी की, सूख गए किनारे, जल के बिना सिसके, वन, पंछी और सारे। प्यास थी मानव की, लालच में वो खोया, सागर सा जल पाया, फिर भी [...]

संविधान दिवस परिचर्चा……

संविधान दिवस परिचर्चा…… कायमगंज…. संविधान दिवस पर राष्ट्रीय प्रगतिशील फोरम द्वारा कृष्णा प्रेस परिसर में आयोजित संगोष्ठी में एडवोकेट राजवीर सिंह शाक्य ने कहा के जीवंत एवं जागरूक समाज तथा सक्षम व सजग न्यायपालिका जनतंत्र की सफलता की सबसे बड़ी गारंटी होती है ।हमारे देश में उच्चतम न्यायालय भारतीय संविधान [...]

बहु पढ़ाओ;ससुराल बचाओ

बहु पढ़ाओ;ससुराल बचाओ जिसने धरती आकाश दिया *जिसने हर मानव को सम्मान दिया उस परमपिता परमेश्वर का* *वंदन है अभिनंदन है। आज मैं जब सुबह उठी तो बहुत सारे प्रश्न एक साथ मुझे उद्वेलित कर रहे थे इनका समाधान खोजना अत्यंत आवश्यक है यदि हम देश के निर्माण में अपने [...]

बटवृक्ष

बटवृक्ष कोमल काली चिकनी मिट्टी और नहि रक्षित उद्यानों में। फिर भी देखा उगते तुमको पत्थर और चट्टानों में।। स्रोत नहि पानी का कोई नहि खाद की कोइ आस कभी। नदी नहर नाले नहि कोइ नहि माली कोइ पास कभी। लेती है परीक्षा तेज धूप नहि दया तनिक आसमानों में। [...]

ढूंढता रहा

ढूंढता रहा _________ प्रभु ढूंढा अनवरत तुमको, जंगल, नदियां पहाड़ों में। शीत, ताप छाया में ढूंढा, वैराग्य और माया में ढूंढा। तृष्णा के संधान सा ढूंढा, झरनों की निर्मल धारों में। सुबह, शाम और रात में ढूंढा, इंद्रधनूषी बरसात में ढूंढा। योद्धा सा रणभूमि में ढूंढा, तीरों और तलवारों में। [...]

कविताई

कविताई कहते हैं पाठक निराले, “अर्थ बोध हुआ तो कविता है।” कहता है कोई- “अर्थबोध हुआ तो कैसी कविता ?” कह रहा कोई, कविता एक बनाई है- “आए घनश्याम, गरजे घनश्याम, बरसे घनश्याम, भीगे घनश्याम।” अर्थ बोधगम्य हुआ यही कविताई है? बोले पाठक निराले- “चाँद तारों ने मिल रात सजाई [...]

मैं जानती हूं

……. मैं जानती हूं…… मैं जानती हूं की मैं कौन हूं क्या हूं पता है मुझे ,मेरी वास्तविकता….. मैं ,कोई तस्वीर या श्रृंगार का सामान नही ना ही ,यादों को संजोकर ना याद रखनेवाली भुलक्कड़ लड़की हूं और ना ही कोई भटकती हुई आत्मा हूं…. मैं , मतलब की पुड़िया [...]