अखिल भारतीय ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन
विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर अंबेडकर नगर साहित्य संगम अकबरपुर अंबेडकर नगर के बैनर तले अखिल भारतीय ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन टांडा के युवा कवि प्रदीप मांझी के कुशल संयोजन और अंबेडकर नगर के मशहूर संचालक तारकेश्वर में जिज्ञासु के संचालन में आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता रुड़की उत्तराखंड के वरिष्ठ साहित्यकार और पर्यावरणविद अशोक पाल सिंह ने की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मध्य प्रदेश के वरिष्ठ साहित्यकार विजय पाटिल और विशिष्ट अतिथि कानपुर के वरिष्ठ व्यंग्यकार अशोक अचानक जी रहे। कार्यक्रम की शुरुआत उड़ीसा की प्रख्यात कवयित्री प्रियंका भूतड़ा की वाणी वंदना के साथ शुरू हुआ, उसके बाद कवियों ने अपनी अपनी रचनाओं से शमा बाधना शुरू किया। कौशल सिंह सूर्यवंशी ने पढ़ा-तुलसी सूर कबीर है हिंदी,चंदन और अबीर है हिंदी, डॉ रंजीत वर्मा ने पढ़ा- हिंदी भारतवर्ष की शान है,हिंदी से ही हमारी पहचान है। युवा कवि संजय सवेरा ने पढ़ा- मैं तुम्हें भाषा ही नहीं मां मानता हूं, दुनिया वालों मैं हिंदी के सिवा क्या जानता हूं। विशिष्ट अतिथि अशोक अचानक ने पढ़ा- वेदना ने वेद सारे पढ लिए हैं,जिंदगी के भेद सारे पढ लिए हैं!क्या पता है घड़े की टूटी तली है,व्यर्थ कौवा चोंच में कंकड़ लिए है। मुख्य अतिथि विजय पाटिल ने अपनी रचना-राष्ट्र की लाडली बेटी हैं हिंदी,संस्कृत की कोख से जन्मी है हिंदी को पढ़ कर उद्बोधन किया। अध्यक्षता कर रहे अशोक पाल ने अपनी रचना सिंधु से उत्पन्न तुलसी का मानस हरिवंश की मधुशाला है हिंदी, सूर की ज्योति कवियों की पाठशाला है हिंदी को पढ़ते हुए सभी कवियों की सराहना की। कार्यक्रम के अंत सह संयोजक संजय सवेरा ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए विश्व हिंदी दिवस की बधाई दी।