महाकुंभ में किया गया अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी साहित्यकारों का सम्मान
महाकुंभ में किया गया अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी साहित्यकारों का सम्मान
चाकघाट। नगर की सीमा से लगे महाकुंभ प्रयाग क्षेत्र में तांत्रिक रमेश जी महाराज के शिविर सभागार में वैश्विक हिन्दी महासभा द्वारा आयोजित साहित्यकारों का सम्मान एवं हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाए जाने के विषय पर विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गरिमामय आयोजन के मुख्य अतिथि इंडोनेशिया (वाली) से पधारे उदयन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर धर्म यश जी उपस्थित रहे। उन्होंने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि भारतीय संस्कृति और परंपरा का इंडोनेशिया में आज भी महत्व है। भारत में तो रामलीला का आयोजन वर्ष में एक बार ही होता है लेकिन वाली में प्रतिदिन श्री राम के जीवन चरित्र पर आधारित है रामलीला का आयोजन होता है। इंडोनेशिया में भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा का महत्वपूर्ण स्थान अभी भी विद्यमान है, और आने वाली पीढ़ी को हम भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा से रूबरू बनाए रखने का उपक्रम करते रहते हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता मथुरा से पधारे श्री राकेश कुमार जी ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में सेवानिवृत्तआईएएस अधिकारी प्रमोद अग्रवाल ने अपने विचार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ.शम्भूनाथ त्रिपाठी अंशुल (प्रयागराज) के द्वारा किया गया। हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाए जाने की दृष्टि से विद्वानों ने अपने विचार रखें एवं काव्य के माध्यम से हिंदी की महत्ता पर प्रकाश डाला। सरस्वती वंदना प्राचार्य डॉ. इन्दु जमदग्निपुरी (जौनपुर) कार्यक्रम के संयोजक वैश्विक हिंदी महासभा के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. विजयानंद, प्रदेश अध्यक्ष राम-लखन गुप्त ने अपने विचार रखें। डॉ वीरेंद्र तिवारी, गंगा प्रसाद त्रिपाठी, सत्यभामा जी, अमित आनंद, नंदलाल त्रिपाठी ने सारगर्भित हिन्दी रचनाएं पढ़ी। इस अवसर पर उपस्थित कई विद्वानों को हिंदी सेवा के लिए अंग वस्त्र एवं स्मृति चिन्ह देकर उन्हें सम्मानित किया गया। सभी विद्वानों ने वसुधैव कुटुम्बकम् को आधार बनाकर सर्व धर्म समभाव एवं वैश्विक शान्ति प्रेम पवित्रता सद्भाव संवाद सहयोग शक्ति योग एवं हिन्दी संस्कृत के समान अध्ययन व्यवहार पर भरपूर समर्थन प्रकट किया।