विश्व जल दिवस
विश्व जल दिवस
आज विश्व जल दिवस है और मैं इस पर कुछ लिखना चाहता हूँ कारण मैं एक किडनी रोगी हूँ और पिछले दस सालों से डायलिसिस पर जिन्दा हूँ । डायलिसिस का ये मेरा ग्यारहवां साल है। मेरे रोग मे मुझे सीमित मात्रा मे ही पानी का सेवन करना है। डॉक्टर के अनुसार खान पान मिलाकर मुझे एक दिन मे केवल आधा लीटर पानी ही लेना है अन्यथा ये मेरी जान ले सक्ता है। मेने जल की असली कीमत तब जानी जब मैं डायलिसिस पर आ गया । लेकिन जब मैं ठीक था तो मेने इस जल जो कि मानव जीवन का आधार है को कभी तवज्जों नही दिया। अनाप शनाप पानी बहाना ये दिनचर्या का हिस्सा था। कहते है जब आप किसी की इज़्ज़त नही करेंगे तो एक दिन वो आपसे दूर होना ही है । ये ही जल जिसको मेने केवल तब अहमियत दी जब प्यास लगती थी उसने आज मुझे अपने बूंद बूंद के लिये तरसा दिया। ये मैं आज आपसे क्यों ज़िक्र कर रहा हूँ । क्योंकि जो गलती मेने अपने जीवन मे की वो आज पूरा देश क्या पूरा विश्व कर रहा है । हमको पानी शुद्ध चाहिये किन्तु हम उस पानी की सहजने के लिये क्या कर रहे है। भारत हमारा देव भूमि है यहाँ दूनियाँ मे सबसे ज्यादा जल स्त्रोत है किन्तु सबके सब को हमने प्रदूषित कर दिया सुखा दिया । कोई योजना कोई सोच जो इन जल स्त्रोतों के रखरखाव के लिये हो कहीं दूर तक नज़र नही आती। बड़ी बड़ी एतिहासिक नदियां का आज कोई अस्तित्व ही नही बचा जो है वो अपने दुर्भाग्य को रो रही रही है। हम इन्सान इतने स्वार्थी हो चुके है बिसलरी से अपनी प्यास शान्त कर लेते है किन्तू इनके उदगम को दरकिनार कर देते है। सरकार कोई भी हो अधिकारी कर्मचारी कोई भी हो इनको कभी जल स्रोतों को सहेजने से कोई मतलब नही रहा किन्तु हम जैसे पढ़े लिखे भी इससे अनजान बने है । ये ऐसा ही है कि जिस डाल पर बैठे है उसे ही धीरे धीरे काट रहे है। लेकिन मैं येही कहूंगा कि जल इश्वर की नेक देन है इसे सहेज लेँ और भविष्य अपना और इस पावन धरा का बचा लेँ नही तो मैं आज बिमारी की वजह से जल को तरस रहा हूं कल आप बिना बिमारी ही पानी तलाशोगे और पानी आपको आपके पाप दिखा देगा। मेरा समस्त देशवासियों से निवेदन है कि जल संवर्धन जल संरक्षण के लिये कुछ कर नही सकते तो लोगों मे जागरुकता फैलायें और अपने आस पास की नदी तालाब पोखर आदि को आप खुद मिलकर बिना सरकार और जिम्मेदारों को देखे उसका संरक्षण करें । अगर आज जल की बरबादी रोक ले तो कल आपका संवर जायेगा अन्यथा लकीर पीटने के अलावा कुछ ना रह पायेगा।
जल ही जीवन के प्राण है
बिन जल जीवन निष्प्राण है
सहेज लो इस जीवन के आधार को
हरितिमा की चादर ओढ़े इस संसार को
विकल्प तो तुमने खूब तलाशे
जल का विकल्प कहां से लाओगे।
धन्यवाद।
संदीप सक्सेना
जबलपुर म प्र