मानसी गंगा एक बार फिर
मानसी गंगा एक बार फिर
मनुष्यों का सैलाब उमड़ा हुआ है चारो तरफ़ जहां तक नज़र जा रही है ,जिस ओर भी जा रही है भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा है। गंगा में एक डुबकी लगाने के लिए आतुरता देखते ही बनती है।कुछ दिव्य संत हैं जो मां गंगा में स्नान भी बड़ी दिव्यता के साथ करते हैं,बारंबार मां को पहले प्रणाम करते हैं फिर क्षमा याचना करते हुए गंगा में प्रवेश करते हैं उनके मन में ये भाव हैं कि कहीं मेरे द्वारा कोई ऐसा कृत्य न होने पावे जिससे मेरी मां गंगे दूषित हों और एक तरफ़ ये भाव भी उनकी उत्सुकता को बढ़ाता चला जाता है कि हे मेरी मां गंगे जिस प्रकार एक मां अपने छोटे से शिशु को गोद में उठाने से पहले ये विचार नहीं करती कि शिशु मलीन है या स्वक्ष उसी प्रकार मुझे अपनी गोद में शरण दे,दुलार दे हे मां मुझे अपनी निर्मल,निश्छल धाराओं का स्नेह दे,प्यार दे।ऐसी दिव्य आत्माओं के भावों को मेरा बारंबार प्रणाम है।
दूसरी ओर नज़र गई तो मन में पीड़ा हुई कुछ मनुष्य केवल अपने इस नश्वर शरीर को साबुन से मलमल के धोए जा रहे थे,न गंगा की पवित्रता की जानकारी,न पवित्र रखने का भाव ।गंगा के शुद्ध ,पावन जल में डुबकी लगाने के बाद इस शरीर को साबुन से धोने की आवश्यकता है ही नहीं ये ऐसे मनुष्यों को नहीं समझाया हा सकता जो समझना ही न चाहता हो।जिनके लिए ये सब बातें मात्र भाषण हों जिसे एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल दिया जाता है।
आज लाखों करोड़ों लोग माघ के पावन अवसर पर गंगा तट में एकत्र हुए हैं।बड़े बड़े साधु संत से लेकर छोटे बड़े सब अपनी आस्था में लिपटे हुए एकटक निहार रहे हों मानो गंगा के आइने में ख़ुद को।
इस जनसैलाब में किस्मत के कुछ धनी लोग भी शामिल हैं जिन्हें गंगा के तट पर संत महात्माओं के दर्शन का लाभ प्राप्त हुआ है,आज मेरी नज़र में सबसे अधिक धनी वही है जिसे संत सेवा का अवसर और दर्शन प्राप्त हों।
कल कल करती चंचल धाराओं के साथ बहती जा रहीं मां गंगा मनुष्यों को मौन रहकर भी कितनी बड़ी बात बता रही है कि जीवन की धारा को बहने दो उसे रोकने का प्रयास मत करो ,प्रसन्नता को जीवन के हर क्षण में शामिल रखो,जीवन में दया भाव का होना अति आवश्यक है ये गंगा मां से अधिक और कौन सिखा सकता है जो अपने जल से प्यासे की प्यास बुझाते हुए ऊंच नीच का नहीं अपितु दया के भाव के साथ प्यास को प्रधानता देती हैं।
मेरा एक छोटा सा संदेश हर उस व्यक्ति के लिए जो प्रयागराज की ओर प्रवेश कर रहा है या करेगा….
महाकुंभ में अपने मन कुंभ का विशेष ध्यान रखें गंगा मां के जल को पवित्र रखें ।
सीमा