गीत श्रृषि गोपाल दास नीरज जी के अनन्य शिष्य काशी के हास्य कवि डॉ.अजीत श्रीवास्तव चपाचप बनारसी की जयंती
गीत श्रृषि गोपाल दास नीरज जी के अनन्य शिष्य काशी के हास्य कवि डॉ.अजीत श्रीवास्तव चपाचप बनारसी की जयंती पर नादान परिंदे साहित्य मंच ने जरूरतमंद लोगों को कंबल एवं अन्य आवश्यक सामग्री वितरण किया और साहित्यिक संस्था रसवर्षा, उत्तर प्रदेश पत्रकार परिषद, नवनिर्माण सेवा ट्रस्ट एवं चपाचप मित्र मण्डल द्वारा चपाचप बनारसी स्मृति काव्य संगम में कत्थय शिल्प काव्य ठहाका के उपरांत अश्रुपूरित काव्यांजलि अर्पित किया –
काशी के काव्य महारथी हास्य कवि डॉ.अजीत श्रीवास्तव चपाचप बनारसी की जयंती पर साहित्यिक संस्था नादान परिंदे साहित्य मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सुबाष चंद्र के अध्यक्षता में श्रीप्रकाश कुमार श्रीवास्तव गणेश के प्रमुख संरक्षण, कवि इंद्रजीत तिवारी निर्भीक के स्वागत संरक्षण में, कवयित्री एवं गजलकारा झरना मुखर्जी -नादान परिंदे साहित्य मंच की राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष के स्वागत संयोजन में मंच के शिवशक्ति काम्प्लेक्स, लंका, वाराणसी में जरूरतमंद लोगों को निःशुल्क कम्बल और अन्य जरूरी सामग्रियों का वितरण किया गया।
दूसरी तरफ साहित्यिक संस्था रसवर्षा के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. अजय कुमार श्रीवास्तव – हास्य कवि डॉ. चकाचौंध ज्ञानपुरी के प्रमुख संरक्षण में, प्रयागराज के पूर्व जिला जज एवं अंतर्राष्ट्रीय गज़लकार डॉ. चंद्रभाल सुकुमार के अध्यक्षता में, श्रीप्रकाश कुमार श्रीवास्तव गणेश के स्वागत संरक्षण में, उत्तर प्रदेश पत्रकार परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश मिश्र एवं नवनिर्माण सेवा ट्रस्ट की राष्ट्रीय अध्यक्ष नूतन सिंह के स्वागत संयोजन में, युवा कवयित्री प्रज्ञा श्रीवास्तव के प्रमुख संयोजन में, चपाचप मित्र मण्डल के प्रमुख संयोजक कवि इंद्रजीत तिवारी निर्भीक के संचालन में होटल किंग्स बनारस गंगा बाग, लंका, वाराणसी में चपाचप स्मृति काव्य संगम में कत्थय शिल्प काव्य के उपरांत अश्रुपूरित काव्यांजलि अर्पित किया गया।
उक्त आयोजन में डॉ. चकाचौंध ज्ञानपुरी ने कहा कि स्वर्गीय चकाचक बनारसी जी के बाद काशी और काशिका बोली का हररौल भाई चपाचप बनारसी भाई आन-बान-शान था, साहित्यिक रचनाओं के माध्यम से समसामयिक स्थितियों परिस्थितियों पर दिलाता ध्यान था,वो रचनाकार सचमुच महान् था, कवि इंद्रजीत तिवारी निर्भीक ने संचालन के दौरान कहा कि चपाचप जी की की रचनाधर्मिता और नवोदित रचनाकारों को बड़े – बड़े मंचों पर ले जाकर उन्हें विशेष रूप से प्रोत्साहन करवाना।यह पुनीत कार्य अत्यंत कम रचनाकारों में देखने को मिलती है। स्पष्टवादी व्यक्तित्व के धनी चपाचप जी बेख़ौफ़ अच्छे-अच्छे पाखंडियों की पोल बड़े -बड़े मंचों पर भी खोल देते थे। साहित्यिक क्षेत्र में वो लोकबंधु राजनारायण जी की तरह दूसरे साहित्यिक लोकबंधु थे।लाल टमाटर देहरादून काटा राजा दूननू जून,राम ना बिगड़िहै जेकर केहू का बिगाड़ी जी,रोकी केहू केतनों पर खिचात रही गाड़ी जी, एक राजनैतिक पार्टी बने जिसका चुनाव चिन्ह हो जूता,अब बात नहीं बनेगी बतियाने से,बन सकती है तो सिर्फ जूतियाने से जैसी रचनाएं। मानव समाज में व्याप्त ज्वलंत समस्याओं को स्पष्ट शब्दों में रचना बहुत कम रचनाकारों को होती है।
अध्यक्षीय संबोधन में डा. चंद्रभाल सुकुमार ने कहा कि अक्खड़ बनारसी थे चपाचप जी जो लाखों लोग एक तरफ वो एक तरफ होकर भी अपने शब्द श्रृजन से करोड़ों, अरबों लोगों को अपने तरफ़ आकर्षित करने में महारथी चपाचप बनारसी जी कैंसर रोग से पीड़ित होकर हम सब के बीच से चले गये। जिससे काशी के साहित्य जगत में विशेष मायूसी है। ईश्वर उन्हें पुनः हम सबके बीच भेजें। यही प्रार्थना है।
चपाचप बनारसी स्मृति काव्य संगम में सर्व श्री कवि चकाचौंध ज्ञानपुरी, डॉ चंद्रभाल सुकुमार, डॉ. श्रद्धानंद, इंद्रजीत निर्भीक, डॉ . सुबाष चंद्र,सुरेश अकेला, सिद्धनाथ शर्मा सिद्ध, डॉ.पूनम श्रीवास्तव, झरना मुखर्जी, प्रज्ञा श्रीवास्तव, डॉ.जयशंकर जय, जयशंकर सिंह, डॉ. अशोक राय अज्ञान, रोहित पाण्डेय, करूणा सिंह, प्रीतेश श्रीवास्तव, चिंतित बनारसी , प्रदीप श्रीवास्तव,
सहित अनेकों लोगों ने शब्द सुमन अर्पित किया।
मुख्य अतिथि प्रोफेसर श्रद्धानंद थे। संचालन इंद्रजीत तिवारी निर्भीक ने किया।
स्वागत संबोधन नाट्य रंगकर्मी विजय कुमार गुप्ता,नूतन सिंह एवं प्रज्ञा श्रीवास्तव और धन्यवाद आभार राजेश मिश्रा-पत्रकार ने अर्पित किया।