गोलकोंडा किला की विशिष्टता
गोलकोंडा किला की विशिष्टता
कुतुब शाही राजाओं की प्रमुख राजधानी है
आंतरिक दुर्ग में महलों और मस्जिद हैं
यह एक पहाड़ी शीर्ष मंडप के खंडहर है
जो लगभग एक सौ तीस मीटर ऊंचा है
गोलकोंडा भारत के शानदार किलो में से एक विजया!
दक्षिण भारत में एक खंडहर शहर है
यह एक पूर्व मुस्लिम साम्राज्य की राजधानी है
आधुनिक हैदराबाद नगर के पास है
गोलकोंडा हीरे की कटाई के लिए प्रसिद्ध है
एक समृद्ध खदान महान धन का अन्य स्रोत विजया!
इस दुर्ग को बहुत नाम से पुकारा जाता है
गोलकोंडा,गोल्लाकोंडा से लोग बुलाते हैं
कीमती हीरे जवाहरातों के लिए विख्यात है
एक ऐतिहासिक दुर्ग और खंडहर शहर है
यह पश्चिमी तेलंगाना राज्य में स्थित है विजया!
गोलकोंडा में चार अलग-अलग खिले हैं
दस किलोमीटर मील लंबी बाहरी दीवार है
जिसमें सतासी अधीवृत्ताकार बुर्ज हैं
कुछ मीनार अब भी तोपों से सुसज्जित है
आठ प्रवेश द्वार, चार ड्रॉब्रिज हाल भी हैं विजया!
कई शाही अपार्टमेंट मंदिर मस्जिद आदि हैं
इसकी लघु चित्र ईरानी कला से प्रभावित है
दो अन्य उल्लेखनीय गोलकोंडा पेंटिंग हैं
इसमें एक लेडी विद द मैना बर्ड का है
लेडी स्मोकिंग हुक्का यह दूसरी पेंटिंग है विजया!
गोलकुंडा शुरुआत में मिट्टी का किला था
इसे वारंगल के हिंदू राजाओं ने बनवाया था
यह काकतीय नरेशों के अधिकार में था
इनके शासन चिह्न दीवारों पर अंकित था
इतिहास इसे शुरू में शेफर्ड हिल कहता था विजया!
इसे काकतीय वंश के शासक प्रताप्रुद्र से
ग्यारहवीं शताब्दी में मिट्टी की दीवारों से
मुहम्मद शाह कुतुबशाह जमाने मे इसे
गोलकोंडा किला बनवाया विशाल चट्टानों से
सोंप दिया बहमनी सुल्तान महमूद शाह को विजया!
जी.विजयमेरी, हिंदी अध्यापिका
अनंतपुर जिला, आंध्रप्रदेश