मेरा विचार मेरा समाज
मेरा विचार मेरा समाज
समाज का यह अर्थ होता है
एक से कई लोगों का समूह है
जो बृहद समुदाय बनता है
मानवीय क्रियाकलाप होते हैं
सामाजिक सुरक्षा निर्वाह होता विजया!
समाज से हम बहुत सीखे हैं
सब से मिलजुल कर जीते हैं
बड़ों का आदर करना जाने हैं
सभ्यता संस्कारों को अपनाए हैं
भाईचारे की भावना से जीते हैं विजया!
जमाना बहुत बदल गया है
लोग यांत्रिक जीवन जी रहे हैं
एक दूसरे से फर्क नहीं पड़ता है
जीवन सफर में भाग रहे हैं
इंसानियत ही भूल गए हैं विजया!
संविधान से पाए हैं अधिकार
इनका दुरुपयोग मत कर
तोड़ देना है अपना अहंकार
आपसी मतभेद न दिखा कर
सब मानवीय मूल्यों से जीना है विजया!
समाज में स्वार्थ बढ़ गया है
हर जगह भ्रष्टाचार फैली है
लोग धन की लालच में पड़े हैं
पैसों के लिए कुछ भी करते हैं
रिश्तों को भी भूल कर जी रहे हैं विजया!
समाज में बदलाव लाना है
बच्चों को नैतिक गुण सिखना है
उन्हें आदर्श नागरिक बनाना है
भ्रष्टाचार मुक्त समाज लाना है
ये कार्य अध्यापक ही करते हैं विजया!
समाज में विद्या की खेती करना
सब में नैतिक मूल्यों को बढ़ाना
ईमानदारी का बीज बोते जाना
युवा शक्ति को खूब बढ़ावा देना
सम समाज की स्थापना करना विजया!
जी.विजयमेरी, हिंदी अध्यापिका
अनंतपुर जिला आंध्रप्रदेश ।