” मत तोड़ो मेरा दिल “
” मत तोड़ो मेरा दिल “
जब मैं कॉलेज में पढ़ती थी
तब तुम दिन भर मेरा पीछा करता था ।।
इनकार करने पर भी
बेशरम मुझे मनाने आया करता था ।।
तुम्हारी ईमानदारी सच्चाई का प्रेम
जानकर मैं तुम्हारे प्यार को स्वीकार किया था ।।
हम दोनों एक दूसरे के बारे में खूब जान पाए थे।।
परिवार वालों की सहमति से विवाह भी कर लिए थे।।
ब्याह के पश्चात हमारा प्यार और बढ़ गया।
हम बिना एक दूसरे के जी नहीं रह पाते थे।।
एक दूसरे को बहुत चाहते थे प्यार की छाया में जिए थे।।
आदर सम्मान के साथ सुखमय जीवन बिताते थे ।।
प्यार से सुख दुखों में एक साथ खड़े जिए थे।।
हम चांद सूरज के जैसे दो सुपुत्रों को जन्म दिए थे।।
अनकी लालन पालन में हंसी-खुशी
जिंदगी का सफर कर रहे थे।।
हमारे इस सुंदर संसार में
शक रूपी शैतान ने प्रवेश किया।।
आप अपने प्यार को ही शक करने लगे थे।।
शक के कारण अपने आप के दिल को ही दर्द पहुंचा दिए।।
तुम विश्वास खो बैठे हो ,क्यों दिल को इतना दर्द पहुंचाते हो।।
जिससे मेरा छोटा सा यह दिल
टूट गया है अरे !ओ मेरे सनम ।।
आप ने क्यों इस तरह तोड़ा मेरा यह छोटी सी दिल को।।
खुद की गलती पर हम पछताए यदार्थ को जाने ।।
विश्वास मत खोना तुम दिल को ऐसा तोड़ो मत सनम ।।
भगवान पर मेरा अपार विश्वास है
जिस ईश्वर की कृपा ने हम दोनों को एक बनाया ।।
पवित्र रिश्ते में जोड़ा वही हमें यहसास दिलाएगा।।
तुम्हारे मन की शंकाएं दूर करके विश्वास से भरेगा।।
हमारी दूरियां दूर करके प्यार के बंधन में फिर जोड़ेगा।।
पवित्र प्यार में फिर हमारी जिंदगी खिल उठेगा।।
भगवान पर भरोसा रख जीवन सुख दुखों का संगम है।।
जी.विजयमेरी, हिंदी अध्यापिका
अनंतपुर जिला,आंध्रप्रदेश ।