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गौमाता की रक्षा

गौमाता की रक्षा

कान्हा गया भारत से ,
क्या चैन की वंशी गई?
गौरक्षा का दायित्व छोड़ा,
सभी नौकरी के चहेते हो गए;
गौमाता की रक्षा के अब
टोटे हो गए।

कान्हा तेरे देश में
आदमी आदमियत हारा
और तू कर रहा किनारा ?
तेरे भी संगी- साथी
सेवक-मुखौटे हो गए।
गौमाता की रक्षा के अब
टोटे हो गए।

किसी ने आदमियत छोड़ी
चरा चारा : तो किसी ने
गऊ को जान से मारा।
कान्हा तेरे देश में
आदमी आदमियत हारा,
और तू कर रहा किनारा ?
वक्त के पल क्या तेरे भी
ओछे हो गए ?
गौमाता की रक्षा के क्यों
टोटे हो गए ?

गौमाता तड़प रही.
सतत सत्य सनातन
है जिससे नाता;
तड़प रही वात्सल्यमयी
वह भारतमाता, गौमाता !
हम इतने खोटे हो गए ?
गौमाता की रक्षा के अब
टोटे हो गए।

शासक का अनुशासन
कब रंग दिखाए,
गौरक्षक के रूप में ?
अभाव पोषण का;
खा रही कूड़ा,
हो रहा उसके
अमृत गोमय पर संदेह!
मन के भाव
यों छोटे हो गए !
गौमाता की रक्षा के अब
टोटे हो गए।

कौन है जवाबदेह ?
देश या समाज ?
जागो देश जागो समाज !
सुनो गौवंश का आगाज़,
सुनो हे प्रबुद्ध समाज!
गहन अध्ययन गौ पर
कराओ, गौरक्षण सिखाओ।

सरकारी, अर्द्धसरकारी या सहकारी,
गौरक्षण समितियाँ बनाओ।
गोहत्या पर रोक
सख्ती से लगाओ।
कानून के हाथ और पलाओ।
राजनीति में हम कुछ और हो गए,
गोमाता की रक्षा के यों
टोटे हो गए।

– अक्षयलता शर्मा

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