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विश्व वृद्ध दिवस

विश्व वृद्ध दिवस

मैं इस विषय पर पहले तो कुछ लिखना ही नही चाहता था । ये वृद्ध दिवस क्या होता है साल मे एक दिन वृद्धों को पूछ लिया या कुछ उनके मन का कर लिया तो मान लिया जाये कि आपके मन मे बुजुर्गों के लिये बहुत सम्मान है या बहुत प्रेम है।

ये सब अंग्रेजी चोंचले है जिनको रिश्ते निभाने से ज्यादा रिश्तों के हल्लों मे यकीं होता है। आज हमारे घर मे बुजुर्ग तो होते ही है किन्तु ये भी सर्वथा गलत नही होगा कि बहुत गिनती के घरों मे ही बुजुर्ग पूरी तरह से अपने मन के मुताबिक ज़िंदगी जीते है।

आप अपनी लाइफ मे इतने व्यस्त हो चुके हो कि आपके पास टाईम नही है ये समझ आता है किन्तु हमारी सोच भी ऐसी हो गयी है कि ये बुजुर्ग हमारी व्यस्त जिन्दगी मे एक बाधा की तरह नज़र आते है।” मम्मी/ पापा अभी बीच मे नही आना , एक तरफ बैठ जाओ, रात मे तकलीफ बताना अभी ऑफ़िस जा रहा हूँ ” ऐसे कमेंट है जिनसे इनको रोज दो चार होना पड़ता है।

हम भूल जाते है कि ये व्यस्त जिन्दगी से ही समय निकालकर इन्होने हमारी परवरिश भी की है किन्तु मज़ाल कि ऑफ़िस की व्यस्तता इन्होने हमे जताई हो। वो घर मे रह रहे है खा पी रहे है हम समझते है वो खुश है ओर हम उनकी सेवा कर रहे है किन्तु हकीकत मे उनको कैदी जैसा बनाकर रखते है ओर जब बाहर लेक्चर देना हो तो बड़ी बाते उन बुजुर्गों के लिये करते है। इसीलिये कई बार हमारे माता पिता का दर्द उनकी बातो से भी झलक ही जाता ही है”भगवान बुढापा किसी को ना दे”।

अगर आप अपने बुजुर्गों का त्याग परिश्रम जो उन्होने हम आपको बनाने के लिये किया को ना भूलों मन का प्रेम जीवन की आपाधापी के बीच भी बनाये रखों तो यकीं जानिए आप उनकी सच्ची सेवा कर रहे है। बुजुर्गों के लिये शोबाज़ी ना करे लेकिन जहन मे प्रेम पूरा रखे ओर ये ख्याल रखे कि बुजुर्ग आज भी घर के सबसे बड़े कोतवाल है जिनकी ही छत्र छाया मे आप सम्पूर्ण सुरक्षित हैं। दिखावे मे नही वास्तव मे उनका ख्याल रखें। उनकी सेवा करें।

धन्यवाद ।

संदीप सक्सेना
जबलपुर म प्र

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