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वृत और त्योहारों पर की जाती है इन 5 पेड़ो की पूजा

वृत और त्योहारों पर की जाती है इन 5 पेड़ो की पूजा

जानिए इसका महत्व:
प्रकृति हमारे जीवन का एक जरूरी अंग है। इसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। भारतीय संस्कृति में ऐसे वृत व त्यौहार विशिष्ट तिथियों को आते हैं जिनमें खास पौधों या वृक्ष की पूजा की जाती है।

सनातन धर्म में पेड़-पौधों का विशेष महत्व है। तुलसी, बरगद और केले के पेड़ आदि सहित कई पेड़-पौधों को पूजनीय माना गया है। हिंदू धर्म में ऐसे कई तीज-त्योहार बताए गए हैं जिन पर पेड़-पौधों की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है।
भारतीय संस्कृति के कुछ ऐसे ही त्योहारों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन पर मुख्य रूप से पेड़-पौधों की पूजा की जाती है।

*वट सावित्री वृत: बरगद की पूजा*
वट सावित्री वृत में मुख्य रूप से वट यानी बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। वट सावित्री वृत हर साल ज्येष्ठ अमावस्या को मुख्य तौर पर शादीशुदा महिलाओं द्वारा रखा जाता है। वटवृक्ष के नीचे ही सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा की थी। हिंदू मान्यताओं के अनुसार बरगद के पेड़ में त्रिदेवों यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना गया है।

*सोमवती अमावस्या की पूजा*
सोमवती अमावस्या यानी सोमवार के लिए यदि अमावस्या तिथि आती है तो इस दिन पीपल वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन पीपल के पेड़ पर 108 बार जल व अन्य सामग्री चढ़ाई है। पीपल के वृक्ष में अनेक देवी-देवताओं का वास माना गया है, इसीलिए यह देव वृक्षों की श्रेणी में आता है।

*केले के पेड़ के पूजन का महत्व*

केले के पेड़ का बहुत धार्मिक महत्व है। दक्षिण भारत में केले के पत्ते पर ही भोजन किया जाता है। जिसका स्वास्थ्य की दृष्टि से भी बहुत लाभ है। केले के पेड़ में भगवान विष्णु व देवगुरु बृहस्पति का वास माना जाता है। इसलिए गुरुवार के दिन केले के पेड़ की पूजा की जाती है। इसके पूजन से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होने लगते हैं।

*आंवले के पेड़ का महत्व*
हिंदू धर्म में आंवले का पेड़ भी पूजनीय माना गया है। पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की नवमी को आंवला नवमी या अक्षय नवमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग आंवले के पेड़ की पूजा करते हैं। पूजन के पश्चात वृक्ष के नीचे बैठकर ही भोजन करने का भी विधान है।

*तुलसी पूजन*
हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को बहुत ही पूजनीय और पवित्र माना गया है। शास्त्रों में तुलसी के पौधे को देवी लक्ष्मी का रूप माना जाता है। नियमित रूप से इसकी पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि का वास रहता है। देवउठनी एकादशी के दिन माता तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम के साथ कराने की परंपरा है। इस दिन माता तुलसी का श्रृंगार किया जाता है। और पूरे विधि-विधान से उनकी पूजा की जाती है।

इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न ज्योतिषियों, प्रवचनों, मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संग्रह कर यहाँ प्रस्तुत की गई हैं। जिसका उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना नहीं है, बल्कि इसके उपयोगकर्ता इसे भारतीय सनातन संस्कृति और मान्यता समझकर पालन करें। इसके अतिरिक्त इन पेड़-पौधों का आदर सम्मान करें, क्योंकि इनमें स्वयं हमारे धर्म के देवी देवताओं का वास होता है।

कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
लखनऊ

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