Search for:
  • Home/
  • क्षेत्र/
  • राजेश सिंह श्रेयस कृत उपन्यास तुमसे क्या छुपाना की संघात्मक समीक्षा

राजेश सिंह श्रेयस कृत उपन्यास तुमसे क्या छुपाना की संघात्मक समीक्षा

राजेश सिंह श्रेयस कृत उपन्यास तुमसे क्या छुपाना की संघात्मक समीक्षा
उपन्यास : तुमसे क्या छुपाना
उपन्यासकार : राजेश सिंह श्रेयस
प्रकाशक : उगधारा फाउंडेशन एवं प्रकाशन
पृष्ठ 272
वर्ष2023
मूल्य ₹380

श्री राजेश सिंह श्रेयस वरिष्ठ साहित्यकार हैं,जिनका विनम्र स्वभाव ऐसा है कि जो आपसे मिला वह उनका मुरीद हो गया।
आपका यह उपन्यास क्षय मुक्त भारत 2025 की राष्ट्रीय संकल्पना पर केंद्रित होकर भारत को क्षय मुक्त किए जाने की कसौटी पर आधारित है। एक प्रकार से सरकारी एवं सामाजिक सरोकार से जुड़ी योजना को फलीभूत करने का संकल्प है।
एक महत्वपूर्ण बात यह भी है की भारत से मारीसश गए प्रवासी भारतीय वरिष्ठ उपन्यासकार रामदेव धुरंधर जी द्वारा भूमिका लिखने से इस लौह उपन्यास में पारस का स्पर्श होने से सोना हो गया हो।रामदेव धुरंधर के उपन्यास का नाम ही पथरीला सोना है। उन्होंने एक स्थान पर लिखा है की तुमसे क्या छुपाना नामक उपन्यास सकारात्मक सोच का एक ऐसा सफल प्रयास विंदु है । उन्होंने इस उपन्यास को साहित्य का चरम महाकाव्य कहा है।
उपन्यास लेखन में श्रेयस जी पर मुंशी प्रेमचंद एवं रामदेव धुरंधर का सम्यक प्रभाव पड़ा है। यह भी बताते चलें कि हाल में ही तुमसे क्या छुपाना उपन्यास को उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान द्वारा एक लाख रुपए का पुरस्कार मिला है।
आपके लेखन में शब्दों की जादूगरी है।तभी तो आप इस उपन्यास में लगभग सौ पत्रों को लेकर चले,और इतना ही नहीं कथानक को बोझिल नहीं होने दिया। मुख्य पात्र देवंती के नारी संघर्ष की गाथा को लिखने का सार्थक प्रयास किया गया है। शशांक का चरित्र सहनायक का है । सुधीर और रामानंद जैसे खलनायक भी है।
यह उपन्यास सामाजिक चिंतन एवं चेतना को जागृत करने वाला है। कर्ज एवं ब्याज की समस्या मुंशी प्रेम चंद की कहानियों जैसी है। यानी एक बार कर्ज लिया तो कभी अदा नहीं कर सकोगे ।दस प्रतिशत प्रतिमाह का ब्याज चुकाना आसान काम नही है। देवंती के पिता ने महाजन से हॉकी टूर्नामेंट जाने के लिए कर्ज लिया था।
उपन्यास की भाषा सहज सरल खड़ी बोली में पठनीय है, ग्राम्यांचल की मिठास है। कहीं कही अंग्रेजी के शब्दों की प्रचुरता मिलती है । उपन्यास नायिका प्रधान है जिसकी नायिका देवंती होनहार छात्रा,कुशल फुटबाल खिलाड़ी,एक समाजसेवी एनजीओ है जो विभिन्न चुनौतियों का सामना करते,फर्जी आरोप झेलते हुए क्षय उन्मूलन कार्यक्रम में पूर्ण रूप से संलग्न है, वह उनकी भी सेवा करने में कोई भेदभाव नहीं रखती जो उससे द्वेष रखते है।अंत में नायिका देवंती और शशांक का विवाह साधारण समारोह में जयमाल द्वारा हो जाता है, तालियो का समर्थन तो मिलता ही है। शशांक के एक अंकल डॉक्टर एस सहनी भी आ जाते है जिन्होंने अपने बागी पुत्र से आहत होकर शशांक को अपना इकलौता पुत्र कहते हुए एक फ्लैट गिफ्ट कर देते हैं।
समीक्षक: राम राज। भारती, साहित्यकार, लखनऊ, उत्तर प्रदेश।

Leave A Comment

All fields marked with an asterisk (*) are required