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” गणेश विसर्जन” लघुकथा….

” गणेश विसर्जन”
*लघुकथा*…..

“रमेश तुझे कितनी बार कहा कि अपने शराबी दोस्तों का साथ छोड़कर ,अपनी नोकरी औऱ ग्रहस्थी में ध्यान दे ,पर तू तो कुछ भी नही सुनता अपनी माँ की सीख” तेरी इस आदत से हम सभी परेशान हो चुके हैं ,छोड़ दे अब यह व्यसन बेटा!!!”

रमेश ने मां की ओर पीठ कर ली औऱ कहा”अब नही छूट सकती ये आदत माँ ” मैं क्या करूँ ,दोस्तो का साथ देना ही पड़ता है”।

विमला अपने बेटे की बात सुनकर सर झुका कर आंखों की नमी साफ करने लगी। दूसरी ओर अंदर कमरे से चुपचाप सरला भी अपनी सास औऱ पति का वार्तालाप सुन रही औऱ नसीब को मन ही मन कोसती रही।

” ऑफिस से लौटकर रमेश अपनी पियक्कड़ मित्र मंडली में बैठा था ,जाम पर जाम औऱ नशा सर चढ़कर बोलने लगा ,अचानक घर से सरला के कॉल ने रमेश का ध्यान खींचा , “अरे जी जल्दी घर आओ मुन्नू को बहुत उल्टियां औऱ दस्त हो रहे ” रमेश ने हूँ आता हूं अभी डिस्टर्ब मत कर ” कह कर मोबाइल पटक दिया।

फिर जब वहः 1 घण्टे बाद रात को घर पहुंचा पता चला पड़ोसी अंकल मुन्नू को अस्पताल ले गए ,वहः बदहवास सा अस्पताल की ओर भागा , डॉ ने उसे पहले बहुत डाँटा ,फिर कहा अगर 10 मिनट भी लेट लाते बच्चे को तो अनर्थ हो जाता”। रमेश मुन्नू से लिपटकर बिलख बिलख कर रोने लगा।उसका सारा नशा काफूर हो चला था। उसने अपनी माँ ,औऱ पत्नी सरला से माफी मांगी और मुन्नू के सर पर हाथ रखकर बोला”आज गणेश विसर्जन है औऱ बप्पा ने मेरे बेटे की जान बचाई ,मैं भी अब अपनी इस गन्दी आदत का विसर्जन करता हूँ” तभी मुन्नू मुस्कुराया औऱ आंख खोलकर पापा !!पापा!! कहकर रमेश से लिपट गया। ”

नवनीता दुबे “नूपुर”
मण्डला ,मप्र,मौलिक,अप्रकाशित

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