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राम मंदिर अयोध्या (मालवी रचना)

राम मंदिर अयोध्या
(मालवी रचना)

राम मंदर अजोध्या,,,
राम नाम है तारणहारो,
मंदर थारो यो बण्यो
सुहाणो,
म्हारे राम की महिमा अपार,
म्हू
थारे जाऊं बलिहारी।।

राम नाम है तारण हारो,,,,

दूर-दूर से जा तरी आवे,
आईने था रा दर्शन पावे।
तू तो है पालनहार,
म्हू ह थारे जाऊं बलिहारी,,
म्हारे राम की महिमा अपार,,
राम नाम है तारणहारो,
मंदर थारो यो
बण्यो
सुहाणो,
म्हारे राम की महिमा अपार,
म्हू

थारे जाऊं बलिहारी,,,

कई कई थारा, गुण में गांऊ,,
गाई ने गुण में अती हर षाऊ,
तू तो है सिरजनहार।
म्हू था रे जाऊं बलिहारी।।
म्हारे राम की महिमा अपार,म्हू थारे जाऊं बलिहारी।।
राम नाम है तारणहारो,
मंदर थारो यो बण्यो सुहाणो,
म्हारे राम की महिमाअ पार,
म्हू थारे जाऊं बलिहारी।।

जग जाहिर या अजोध्या नगरी,
नदी सि र जू है, वे वनण वारी,
ज्या को है, म्हारो तू सिरदार,,
म्हू थारे जाऊं बलिहारी।
म्हारे राम की महिमा अपार,

कवि राजन कई महिमा गावे,
गाई ने हृदय दर्शन पावे।
म्हारी सुन लीजे दीनदयाल।।
म्हू थारे जाऊं बलिहारी,,
राम नाम है तारणहारो,
मंदर थारो यो
बण्यों सुहाणो,
म्हारे राम की महिमा अपार।
म्हू थारे जाऊं बलिहारी।।
राम नाम है तारणहारो,
मंदर थारो यो बण्यों सुहाणो,
हमारे राम की महिमा अपार,
म्हू थारे जाऊं बलिहारी।।।

राजेन्द्र कुमार तिवारी
मन्दसौर मध्य प्रदेश

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