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मेरी माटी मेरा देश

मेरी माटी मेरा देश

मेरी माटी मेरा देश ही,मेरा सपन सलोना है।
जनम लिया इसदेश मेंतो,यह धरती मेरा बिछौना है।

भिन्न भिन्न जाति भाषा हैं,भिन्न भिन्न पहनावे,
किंतु वासी देश के सब,हिंदुस्तानी कहलावे,
संस्कारों में रचा बसा,भारत का कोना कोना है,
मेरी माटी मेरा देश ही,मेरा सपन सलोना है।

हर रंग तिरंगे का हमको,जीवन जीना सिखलाता है,
‘वसुधैव कुटुंबकम्’ नारे का यह भेद हमे बतलाता है,
है प्रण ये हमारी सेना का, इक इक दुश्मन को धोना है,
मेरी माटी मेरा देश ही,मेरा सपन सलोना है।

जहां मेहमानों को व्यक्ति नही,भगवान सदा माना जाता,
जहां वृक्ष पशु पक्षी जीवों को,देव तुल्य पूजा जाता,
जहां लहराती फसले चांदी,मिट्टी का कण कण सोना है।
मेरी माटी मेरा देश ही,मेरा सपन सलोना है।

भूले न उन वीरों को,हैं तनमन जिनने गंवाया,
कर स्वतंत्र इस भारत को,माटी का तिलक लगाया,
बरसो में पाई आज़ादी ‘पूजा’ इसे न खोना है।
मेरी माटी मेरा देश ही,मेरा सपन सलोना है।

देश विदेश में घूम के देखा,अपना देश ही न्यारा है,
कोई भी कुछ कह ले किंतु,सब देशों से प्यारा है,
अपना भारत वो भारत है,जिसके आगे जग बौना है।
मेरी माटी मेरा देश ही,मेरा सपन सलोना है।

अनुजा दुबे पूजा

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