अंतरराष्ट्रीय योग दिवस: योग न केवल शारीरिक क्षमता को बल्कि मानसिक शांति,आध्यात्मिक सोच,सद्भाव और सबके कल्याण की भावना को बढ़ाने का निशुल्क माध्यम है।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस: योग न केवल शारीरिक क्षमता को बल्कि मानसिक शांति,आध्यात्मिक सोच,सद्भाव और सबके कल्याण की भावना को बढ़ाने का निशुल्क माध्यम है।
योग की उत्पत्ति सर्वप्रथम भारत से ही मानी जाती है कठोपनिषद में सबसे पहले योग शब्द का प्रयोग मिलता है योग की परंपरा भारत में हजारों सालों से चली आ रही है योग दर्शन सतयुग में से एक है योग दर्शन के प्रणेता महर्षि पतंजलि 2500 वर्ष पूर्व द्वारा योगसूत्र की रचना से भी पहले भारतीय संस्कृत में शिव को पहले आदियोगी माना गया है योग के आठ अंग है। अष्टांग योग के अंतर्गत प्रथम पांच अंग (यम, नियम, आसन, प्राणायाम तथा प्रत्याहार) ‘बहिरंग’ और शेष तीन अंग (धारणा, ध्यान, समाधि) ‘अंतरंग’ नाम से प्रसिद्ध हैं। आठ अंगों वाली योग प्रणाली, जिसे अष्टांग कहा जाता है। आसन, प्राणायाम और ध्यान जैसे अभ्यास आज भी आधुनिक योग में व्यापक रूप से प्रचलित हैं। भारतीय परंपरा में योग एक प्राचीन विद्या है जिसकी उत्पत्ति हजारों वर्ष पहले हुई थी। योग का शाब्दिक अर्थ जोड़ना है महर्षि पतंजलि के अनुसार योग आत्मा का परमात्मा से जुड़ाव है। इसमें शारीरिक आसन (आसन), श्वास अभ्यास (प्राणायाम), ध्यान और नैतिक सिद्धांत शामिल हैं। योग का अभ्यास मन, शरीर और आत्मा को एकीकृत करके समग्र कल्याण को बढ़ावा देता है। 21 जून को ग्रीष्म संक्रांति भी कहा जाता है। इस दिन से सूर्य उतरायण से दक्षिणायन होना शुरू होता है। सूर्य दक्षिणायन का समय आध्यात्मिक सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए उपयुक्त है। जिस तरह सूर्य पृथ्वी पर प्रकाश, गर्मी और जीवन लाता है, उसी तरह योग अभ्यास करने वालों के लिए योग रोशनी, उपचार और जीवन शक्ति लाता है। इसलिए 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में चुना गया। इसे संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 11 दिसंबर 2014 को अपने प्रस्ताव में घोषित किया गया था। संकल्प भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पेश किया गया था, और इसे संयुक्त राष्ट्र के सदस्य से भारी समर्थन मिला था। उद्घाटन अंतरराष्ट्रीय योग दिवस में योग के अभ्यास और इसके लाभों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न देशों में योग कार्यक्रमों और प्रदर्शनों के साथ दुनिया भर के लोगों की भागीदारी देखी गई। 21जून 2015 को पहली बार विश्व के अधिकाधिक देशों मे योग दिवस मनाया गया था। तब से हर साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाता है। 21 जून को इंटरनेशनल योगा डे मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों के बीच योग और उसके महत्व के प्रति जागरुकता पैदा करना है। विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से इस दिन योग के प्रति लोगों को जागरूक किया जाता है और इसके फायदे बताए जाते हैं। यह दिन लोगों को नियमित रूप से योगाभ्यास करने की अपील करता है। नियमित योगाभ्यास से शरीर फिट, तंदरुस्त और बीमारियों से लड़ने में अधिक सक्षम बनता है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस शारीरिक फिटनेस, मानसिक कल्याण और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है। साथ ही योग कई लाभ प्रदान करने वाली क्रिया है, जिसमें शरीर मे लचीलापन, ताकत ,तनाव में कमी, बढ़ी हुई एकाग्रता और आंतरिक शांति की भावना शामिल है। योग का अभ्यास करके,व्यक्ति आत्म- जागरूकता, सचेतनता और जीवन के प्रति संतुलित दृष्टिकोण विकसित कर सकते हैं। इस दिन, योग के प्रति उत्साही और पेशेवर विभिन्न शहरों और कस्बों में कार्यशालाओं, प्रदर्शनों और सामूहिक योग सत्रों का आयोजन करते हैं। ये आयोजन सभी उम्र के लोगों को योग की परिवर्तनकारी शक्ति का अनुभव करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।अंतरराष्ट्रीय योग दिवस एक वार्षिक वैश्विक उत्सव बन चुका है। जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण के लिए योग के अभ्यास को बढ़ावा देता है। यह योग की सार्वभौमिक अपील और परिवर्तनकारी क्षमता को प्रदर्शित करता है, जो दुनिया भर के लोगों को इस प्राचीन अनुशासन को अपने जीवन में शामिल करने के लिए प्रेरित करता है। योग को अपनाने से हम अपने भीतर सद्भाव का पोषण करते हैं और एक अधिक शांतिपूर्ण और संतुलित दुनिया में योगदान करते हैं। निश्चय ही भारत की यह प्राचीन पद्धति संपूर्ण विश्व के लिए सुख शांति स्वास्थ्य और सद्भाव बढ़ाने के लिए भारत द्वारा एक अमूल्य भेंट है।
भगवानदास शर्मा “प्रशांत”
इटावा उत्तर प्रदेश