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बारुण प्रखंड के पिपरा का अष्टभुजी मंदिर साक्षात विंध्यवासिनी माता की प्रतिकृति

बारुण प्रखंड के पिपरा का अष्टभुजी मंदिर
साक्षात विंध्यवासिनी माता की प्रतिकृति
औरंगाबाद 20/4/24
औरंगाबाद जिले के बारुण प्रखंड के पिपरा गांव में अवस्थित अष्टभुजी माता का मंदिर एवं गर्भ गृह में स्थापित मूर्ति हजारों वर्ष पूर्व स्थापित की गई थी।अष्टभुजी माता की मूर्ति को देखकर ऐसा लगता है कि साक्षात विंध्यवासिनी मां यहां विराजमान है। जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन औरंगाबाद के उपाध्यक्ष सुरेश विद्यार्थी ने मूर्ति का अवलोकन करते हुए बताया कि हजारों वर्ष पूर्व गढ़वाल राज्य जो अब उत्तराखंड के नाम से जानी जाती है वहां के राजा देशाटन के क्रम में नदी मार्ग से बिहार प्रांत आए तो सोन नदी के किनारे एक पीपल वृक्ष के नीचे अष्टभुजी माता की मूर्ति उन्हें प्राप्त हुई। सोन नदी के सामने बसे पिपरा गांव में उन्होंने कुछ दिन निवास किया। और उन्होंने वहीं पर अष्टभुजी माता की मूर्ति की स्थापना कराई।हाल फिलहाल तक उनके वंशज यहां निवास करते थे।वर्तमान महंत सच्चिदानंद मिश्र ने बताया कि यह मंदिर सिद्ध पीठ के रूप में जानी जाती है।यह विंध्यवासिनी माता का साक्षात प्रतिरूप को प्रदर्शित करने वाली अष्टभुजी माता की मूर्ति अत्यंत मनोहारी है। दर्शन मात्र से मन में भक्ति की धारा उमड़ पड़ती है।नवरात्र के मौके पर भक्तों की यहां भारी भीड़ लगती है।सावन माह में इस मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की जाती है।अष्टभुजी माता मंदिर समिति के अध्यक्ष अक्षय लाल गुप्ता, सचिव सुधीर पाल एवं अन्य ग्रामीणों ने बताया कि अष्टभुजी माता के दर्शन के लिए पिपरा गांव के अगल-बगल बसे 10 पंचायत के सैकड़ो गांव में लोग वार्षिक समारोह पर पूजा पाठ करने आते हैं ।शादी ब्याह के मौके पर अथवा घर में विशेष कार्य आरंभ के पूर्व अष्टभुजी माता का पूजा अर्चना जरूर करते हैं।पूरा औरंगाबाद जिला शक्ति के स्थलों के लिए जाना जाता है दक्षिण में गजना माता, पूर्व में उमंगेश्वरी, पश्चिम में सत्यचंडी धाम,मध्य भाग में सतबहिनी माता अंबा शक्तिपीठ के रूप में है।तो उसी कड़ी में औरंगाबाद के उत्तरी भाग में पिपरा के अष्टभुजी मंदिर अपनी गौरवशाली परंपरा को व्याख्यायित करती है।इस परिसर में विष्णु भगवान,हनुमान जी,भगवान विश्वकर्मा, दुर्गा माता, शंकर भगवान,कृष्ण मंदिर, गोवर्धन पहाड़, संत रैदास ग्राम देवी,बाबा गणिनाथ,राहु केतु मंदिर स्थापित है।यह स्थल शोध का विषय है एक छोटे से गांव में इतने सारे धर्मस्थल एक ही जगह पर स्थापित किए गए हैं।

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