संग-साथ
संग-साथ
कभी फूलों पर चलना हो ,
लड़खड़ाते वक़्त सम्भलना हो।
ये भी करना हो ,
वो भी करना हो ।
संग चाहिए होगा मुझे तुम्हारा !
साथ दोगे क्या? बोलो !
बुझती राख से आग लेना हो ,
सिमटती शाम से प्रकाश लेना हो ।
सबसे दूर रखना हो ,
सबको साथ लेना हो ।
संग चाहिए होगा मुझे तुम्हारा !
साथ दोगे क्या? बोलो !
लव प्रकाश राय
(कनिष्ठ सांख्यिकी अधिकारी)
सांख्यिकी भवन , दिल्ली