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गदही -उललू समलैंगिक विवाह विवादास्पद होने के कारण अगले वर्ष तक के लिए स्थगित –

गदही -उललू समलैंगिक विवाह विवादास्पद होने के कारण अगले वर्ष तक के लिए स्थगित –
चंदौली जिला अंतर्गत पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर, मुगलसराय के नगर पालिका के पास महामूर्ख हसो-हसाओ रेला – हास्य ठहाका और नवसंवत्सर अभिनन्दन सम्मान समारोह का शुभ उदघाटन डा.ए.के. सिंह – प्रख्यात चिकित्सक ने महामूर्ख उपस्थित कवियों को लालीपाप का माला पहनाकर किया।
तत्पश्चात् अस्मिता नाट्य संस्थान के संस्थापक/महासचिव नाट्य रंगकर्मी विजय कुमार गुप्ता के प्रमुख संयोजन में, प्रेरणा हिन्दी प्रचारिणी सभा के प्रदेश संयोजक कवि इंद्रजीत तिवारी निर्भीक के संयोजन/संचालन में मुख्य अतिथि रतनलाल श्रीवास्तव ने अतिविशिष्ट अतिथि सिवान के प्रख्यात कवि दिवाकर उपाध्याय गदही दुलहा और उल्लू दुल्हन नाट्य रंगकर्मी, विभिन्न फिल्म एलबमों के कलाकार निक्की गुप्ता के समलैंगिक विवाह विवाद को कैंडल दिखाकर बेमेल विवाह को विवादास्पद क़रार दिया। आयोजन के अध्यक्ष कवि राजेन्द्र गुप्ता बावरा ने ताली थाली बजवाकर विशेष रूप से प्रोत्साहन दिया। उक्त अवसर पर गदही दुलहा-उल्लू दुलहन का संवाद कवि इंद्रजीत तिवारी निर्भीक ने पढ़ते हुए कहा कि उल्लू नहीं करता कभी उल्लूपने की बात, उल्लूपने की बात करता आदमी की जाति, इसलिए उल्लू दिन में नहीं देखता, देखता है सिर्फ रात, गदही दुलहा का संवाद – पूर्व जन्म में मैं मानव थी, अब गदही कुल में आई हूं, जब से गदही कुल में आई हूं, बहुत आत्म सुख पाई हूं, लोग दूध मलाई खाकर भी, अपने कुल का अपमान करते हैं। हमलोग तो घास भूसा खाकर, लादी ढोकर भी अपने कुल सम्मान करते हैं। इतना सुनते ही उल्लू दुल्हन कुचकुचाने लगी और भड़क गई। मामला बेमेल देखते हुए उक्त विवाह अगले वर्ष तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
मंचीय एवं आनलाईन 108 लोगों ने काव्य -पाठ, हास्यास्पद विचार के बीच नवसंवत्सर अभिनन्दन सम्मान भी भेंट नाट्य रंगकर्मी विजय कुमार गुप्ता एवं कवि इंद्रजीत तिवारी निर्भीक ने भेंट किया।
उक्त आयोजन में रतन लाल श्रीवास्तव,डा.ए.के.सिंह,इंद्रजीत तिवारी निर्भीक, विजय कुमार गुप्ता,राजू महराज, नवीन कुमार मौर्य फायर बनारसी, अभिषेक त्रिपाठी,डीके.राजू, कमलेश तिवारी पत्रकार, निक्की गुप्ता,तेजबली अनपढ़, चिंतित बनारसी, अलियार प्रधान, दिवाकर उपाध्याय, डॉ.सुरेश अकेला, शायर जमाल बनारसी,रौशन मुगलसरायवी,राजू तिवारी सहित अनेकों लोगों ने श्रोताओं को गुदगुदाया।
विशेष रचना – राजेन्द्र गुप्ता बावरा ने -सोना तो कायरापन है, हंसना जीवन संगीत है, यदि ऐसा जो जी न सका तो मरा हुआ मनमीत है, इंद्रजीत निर्भीक ने – प्यार मोहब्बत को जगाए रखिए, स्वयं खुश रहकर दूसरे को भी खुशी बनाए रखिए,फायर बनारसी ने -चेहरे पे झुर्रियां हैं, माथे पर सिकन,ना नूर है ना जमाल, बहनों भाईयों,ये पांच किलो राशन का कमाल, चिंतित बनारसी ने – कश्मीर से मेरे शादी का पैगाम आया है, पाकिस्तान के रास्ते खुलेआम आया है, अलियार प्रधान ने -हसो-हसाओ हसगुल्ला पाओ प्यारे बाराती, सेहरा बांध के दुलहा आया,दुलहन बनी घराती, दिवाकर उपाध्याय ने – क्यूं जलाकर रोशनी, तुम यूं ही तन्हा सो गए, सुरेश अकेला ने -मन में गन्दा भाव रखने वाले,जब सत्संग करवाने लगें तो जान जाना चुनाव आने वाला है,शायर जमाल बनारसी ने -दिल के ज़ख्म को भी सहलाए रखिए, दुश्मनों को भी अपना दोस्त बनाए रखिए, धर्मेन्द्र त्रिपाठी ने -जीवन जीना है सुखमय अगर, किसी से ना रखें बैर का भाव,साधू ऐसा चाहिए जैसा सूप स्वभाव सुनाकर श्रोताओं को ठहाका लगवाया।

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