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शक्ति उपासना का प्रमुख स्थल सतबहिनी धाम अंबा

शक्ति उपासना का प्रमुख स्थल सतबहिनी धाम अंबा

औरंगाबाद 1/4/24 – औरंगाबाद जिले के कुटुंबा प्रखंड के अंबा में प्रसिद्ध शक्ति उपासना का स्थल सतबहिनी मंदिर सदियों पुरानी है। जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन औरंगाबाद के उपाध्यक्ष सुरेश विद्यार्थी ने बताया कि यह मंदिर एक सती का सत एवं शक्ति का प्रतीक स्वरूप है जहां सात बेदियां हैं। जिन्हें देवी मां के सात स्वरूपों से हम पूजा एवं उपासना करते हैं। सैंकड़ों वर्ष पूर्व इस स्थान पर एक स्वर्णकार समाज की महिला सती हो गई थी। तबसे लोग इसे सती माई का मंदिर या सती स्थान के नाम से पुकारते थे।कालांतर में एक संत पुरुष आए और उन्हें यहां पर आत्मसाक्षात्कार हुआ।उन्होने सात देवियों का स्वरूप देखा और धर्मप्रवणता वश इस स्थान से प्रभावित साथ पिंडों की स्थापना की।शुरुआती दौर में यहां बट वृक्ष के नीचे पूजा अर्चना की जाती थी। चिल्हकी निवासी जमींदार महाराजा बाबू के बड़े पुत्र सरयू बाबू चेचक से ग्रसित होकर आंखों की रोशनी से वंचित हो गए थे। महाराजा बाबू ने यहां आकर मनौती मांगी और परिणाम स्वरूप देवी मां की कृपा से उनकी आंखों की ज्योति लौट आई तब उन्होंने वहां पर एक मंदिर का निर्माण कराया। तब से लेकर आज तक इस मंदिर की चर्चा औरंगाबाद जिला ही नहीं बिहार के दूसरे प्रांतों में भी होती है और वहां से लोग साल के दोनों नवरात्र में पूजा अर्चना करने आते हैं खासकर आद्रा नक्षत्र में यहां भारी भीड़ होती है किसानों की ऐसी मान्यता है कि सतबहिनी में आकर जब अच्छी फसल की कामना करते हैं तो उनके खेतों में हरियाली छा जाती है। दो दशक पूर्व भयंकर आंधी पानी आई और बरगद का पेड़ मंदिर पर गिरने से क्षतिग्रस्त हो गया तो यहां के स्थानीय लोग एवं न्यास समिति के सदस्यों ने मिलकर द्रविड़ शैली मैं भव्य एवं दिव्य मंदिर का निर्माण कराया। गर्भगृह में देवी मां के सात स्वरूपों वाली पिंड की स्थापना की गई।दूसरे तले पर मां दुर्गा,हनुमान जी, गणेश भगवान एवं शिवलिंग की स्थापना कराई गई है। यह स्थल जिला मुख्यालय औरंगाबाद से 18 किलोमीटर की दूरी पर है।

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