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ढूंढता रहा

ढूंढता रहा _________ प्रभु ढूंढा अनवरत तुमको, जंगल, नदियां पहाड़ों में। शीत, ताप छाया में ढूंढा, वैराग्य और माया में ढूंढा। तृष्णा के संधान सा ढूंढा, झरनों की निर्मल धारों में। सुबह, शाम और रात में ढूंढा, इंद्रधनूषी बरसात में ढूंढा। योद्धा सा रणभूमि में ढूंढा, तीरों और तलवारों में। [...]

कविताई

कविताई कहते हैं पाठक निराले, “अर्थ बोध हुआ तो कविता है।” कहता है कोई- “अर्थबोध हुआ तो कैसी कविता ?” कह रहा कोई, कविता एक बनाई है- “आए घनश्याम, गरजे घनश्याम, बरसे घनश्याम, भीगे घनश्याम।” अर्थ बोधगम्य हुआ यही कविताई है? बोले पाठक निराले- “चाँद तारों ने मिल रात सजाई [...]

मैं जानती हूं

……. मैं जानती हूं…… मैं जानती हूं की मैं कौन हूं क्या हूं पता है मुझे ,मेरी वास्तविकता….. मैं ,कोई तस्वीर या श्रृंगार का सामान नही ना ही ,यादों को संजोकर ना याद रखनेवाली भुलक्कड़ लड़की हूं और ना ही कोई भटकती हुई आत्मा हूं…. मैं , मतलब की पुड़िया [...]

( बाल कहानी ) मुसीबत में चतुरता

( बाल कहानी ) मुसीबत में चतुरता एक गांव में एक लड़की थी उसका नाम तपस्वी था।वह बहुत सुंदर और चतुर थी।वह माता पिता की इकलौती बेटी थी। घर में मां का हाथ बताती पिता के साथ खेती का काम करती।अड़ोस पड़ोस के लोगों से स्नेह भरे दिल से बात [...]

संविधान के गुरू प्रणाम

संविधान के गुरू प्रणाम बाबा साहब तुम्हे प्रणाम , बाबा साहब तुम्हे प्रणाम ।। जब जब संकट पड़ा देश पर , महापुरुष आ खड़े हुए । डाक्टर भीमराव अम्बेडकर जी, नेता अपने बड़े हुए । समता, बंधुता व स्वतंत्रता, नारे उनके गड़े हुए । पग पग पर बाधाएँ झेली, कभी [...]

स्मार्ट कृषि उपज मंडी की आवश्यकता है – जबलपुर चेम्बर।

स्मार्ट कृषि उपज मंडी की आवश्यकता है – जबलपुर चेम्बर। जबलपुर। जबलपुर शहर के बढ़ते विस्तार के कारण 50 वर्ष पूर्व बनी 55 एकड़ में जबलपुर की कृषि उपज मंडी पुरानी और छोटी पड़ गई है। बीच शहर में आने के कारण समस्या बढ़ती जा रही है। जहां एक ओर [...]

भारत का संविधान – विश्व में महान

भारत का संविधान – विश्व में महान एक देश को चलाने के लिए नागरिकों के अधिकारों के लिए कर्तव्यों को निभाने के लिए सरकार शासन कार्य के लिए संविधान की आवश्यकता पड़ी विजया! हर साल छब्बीस नवंबर को भारत संविधान दिवस को और राष्टीय कानून दिवस को बड़े गर्व के [...]

सम्मान समारोह संपन्न

सम्मान समारोह संपन्न खुर्जा के प्रतिष्ठित शिक्षाविद एवं वरिष्ठ कवि डॉ. विश्वम्भर दयाल अवस्थी “कपिलश साहित्य श्री ” सम्मान से लखनऊ में किए गए सम्मानित – दिनांक 24/11/2024 रविवार को पीडब्ल्यूडी डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ ऑडिटोरियम लखनऊ मेकपिलश फाउंडेशन के तत्वावधान में सप्तम वार्षिकोत्सव सम्मान एवं पुतक विमोचन समारोह तथा एक [...]

26/11 हमला पर कविता

26/11 हमला पर कविता मुंबई की रात, खूनी और धुंधली आतंक की छाया, हर जगह फैली निर्दोष लोग, मारे गए बेकसूर उनकी आत्माएं, आज भी रोती हैं दुखी होकर छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, ताज होटल और ओबेरॉय हमलावरों ने इन जगहों को अपना निशाना बनाया नरीमन हाउस, लियोपोल्ड कैफे, कामा अस्पताल [...]

क्या था ज़माना आग का फ़साना

क्या था ज़माना आग का फ़साना माचिस नहीं तब भी जरूरत आग की सब ओर प्राप्त की जाय आग कैसे ?पत्थरों को रगड़ कर मुश्किल था आग को पाना क्या था ज़माना ? गीले पत्थर से बहुत मुश्किल था आग को जलाना जेब में आग रखने की कोशिश सदा चलती [...]