हिन्दी दिवस
हिन्दी दिवस
लेखन और वाणी दोनों को गौरानिवत करवाती हिन्दी।
संस्कृत से जन्मी है शुध्द्ता का प्रतीक है हिन्दी ।।
उच्च संस्कार रचित है सत्मार्ग पर ले जाती है हिन्दी।
ज्ञान और व्याकरण की नदिया मिलकर सागर स्रोत बनाती हिन्दी ।।
आदर और मान है हमारी संस्कृति की पहचान है हिन्दी।
हमारे देश की गरिव भाषा, एक उत्कृष्ट अहसास है हिन्दी।।
यह अपनी शक्ति सर्जना के माथे की है चंदन रोली ।
मों के आँचल की छाया में हमने जो सीखी है बोली ।।
हिन्दी में तुलसी, सूर मीरा जायसी की तान है।
हिन्दी हमारी अस्मिता हिन्दी हमारा मान है।
हिन्दी हमारा शब्द स्वर व्यजन् अमिट पहचान हैँ हिंदी।।
अंग्रेजी से जंग जारी सम्मान की है अधिकारी,
साहित्य की फुलवारी सरल-सुबोध पर है भारी।
असंख्यक् है, इसके उपकार बढ़ाओं बस उसका विस्तार बनाओ इसे गलेकाहार अपनी भाषा प्यार ।।
हिन्दी दिवस का ये त्यौहार है, खुशबू बिखेरता हर बार।
इस दिन में है कुछ खास दिल से जुड़े इसके एहसास ।।
मिलकर मनाए ये पर्व भाशा से जुड़ी हर कर्म ।
हिन्दी दिवस आया है खुशियों का संदेश लाया है।।
डॉ पंकज कुमार बर्मन
कटनी
मध्यप्रदेश