संघर्ष जीवन के
बिना पतझड़ के
पेड़ में नए पत्ते नहीं आते
बिना संघर्ष के जीवन में
अच्छे दिन नहीं आते।
बिना भट्टी में तपे लोहे से
औजार बन नहीं पाते।
बिना भारी दाब और ताप झेले
कोयले से हीरे बन नहीं पाते।
बिना छेनी हथौड़े की चोट से
पत्थर भगवान बन नहीं पाते
बिना तपे सोने से
सुंदर आभूषण बन नहीं पाते।
बिना हल चले खेत
उर्वर हो नहीं पाते
बिना झंझावात झेले
पौधे पेड़ बन नहीं पाते।
बिना कठिन अभ्यास के
धनुर्धर अर्जुन बन नहीं पाते
बिना कठोर तप के
गौतम, बुद्ध बन नहीं पाते।
बिना जले दीपक भी
रौशनी दे नहीं पाते
बिना सघन श्रम के
“दीप” मंज़िल पा नहीं पाते।
©प्रदीप त्रिपाठी “दीप”
ग्वालियर(म.प्र.)