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हर्ष और उल्लास के साथ मनाया गया वसंतोत्सव

हर्ष और उल्लास के साथ मनाया गया वसंतोत्सव
हिन्दी साहित्य भारती ब्रज प्रान्त के तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी में वसन्त पंचमी/सरस्वती पूजा के पावन अवसर पर आयोजित विचार गोष्ठी में आए विद्वानों/विदुषियों ने वसंतोत्सव मनाया। कार्यक्रम का आरम्भ सरस्वती पूजन के पश्चात सामूहिक ध्येय गीत के साथ हुआ। सरस्वती वन्दना की मनोहारी प्रस्तुति प्रख्यात साहित्य साधिका डॉ. निवेदिता कपूर द्वारा की गई। डॉ. सुधीर पालीवाल, प्राचार्य दीनबंधु कृषि महाविद्यालय एटा द्वारा चिर परिचित अंदाज़ में विद्या की देवी माँ सरस्वती जी पर कविता प्रस्तुत की गई। पूर्व निर्धारित विषय के अनुसार एकल काव्य पाठ के अंतर्गत नगर के सुप्रसिद्ध कवि एवं व्यंग्यकार श्री दिनेश प्रताप सिंह चौहान को अविरत सुना गया। उन्होंने हास्य व्यंग्य में कहा , माँ के पैर दबाने से स्वर्ग मिलेगो तोय। माता चाहे आपकी या बच्चों की होय।। आगे गुदगुदाते हुए उन्होंने कहा, आसान छोड़ना निशान पत्थरों पे है पानी पे छोड़ते निशान हम वो लोग हैं।। गूढ़ रहस्य भरी कविता सुनाते हुए उन्होंने कहा, है जीवन की धुन अलग अद्भुत इसका साज। बजता रहता हर समय किन्तु न हो आवाज।। इस अवसर पर डॉ ओम ऋषि भारद्वाज की तीसरी पुस्तक का विमोचन भी सम्पन्न हुआ। पुस्तक के बारे में जानकारी देते हुए संचालक ललित कुलश्रेष्ठ जी ने कहा कि यह पुस्तक पाठ्यक्रम में भाषा को लेकर बी एड के छात्रों के लिए लिखी गई है किन्तु इसकी उपयोगिता भाषा के किसी भी अध्यापक के लिए समान रूप से उपयोगी सिद्ध होगी, क्योंकि इस पुस्तक में भाषा को लिखने, पढ़ने, सुनने तथा बोलने के चतुष्टय की संवेदन शीलता को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिक तरीके से समझाया गया है। अध्यक्षीय उद्बोधन में हिन्दी साहित्य भारती ब्रज प्रान्त के मार्गदर्शक श्रद्धेय आचार्य प्रेमी राम मिश्र जी ने वसंतोत्सव की शुभ कामना देते हुए कहा कि यूरोप में भी सर्दी के पश्चात आने वाले वसन्त का भारत के समान ही स्वागत किया जाता है। विशेष अनुरोध पर उन्होंने एक रूबाई कुछ इस प्रकार प्रेषित की, जब शहर ए चमन में दौर चला खुद उनका तकल्लुफ छूट गया। तक़दीर शगुफ्ता मेरी हुई दुश्मन का मुक़द्दर फूट गया।। इसके अलावा समाज सेवी श्री रोहित कपूर,विमल कुमार शर्मा, मयंक तिवारी, डॉ राजेन्द्र चौहान राज, कृष्ण कांत पाण्डेय, कृष भारद्वाज आदि विद्वज्जनों के द्वारा भी वसंतोत्सव पर हर्ष व्यक्त किया गया। कार्यक्रम का समापन कल्याण मंत्र के साथ हुआ, सभी विद्वजनों का संयोजक कृष्ण कांत पाण्डेय ने आभार जताया और अगली गोष्ठी में पुनः अपनी कविताओं का रसास्वादन कराने का निवेदन किया।

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