गरीब किसान की बेटी के बिखरे सपने
गरीब किसान की बेटी के बिखरे सपने
मैं किसान की बेटी हूं, पीड़ा बताने आयी हूं,
आत्महत्या वरदान नहीं, अभिशापित लिखने आयी हूं।
मार्मिक गीत
अल्पवृष्टि के कारण, पापा
अतिवृष्टि के कारण, पापा
ओलावृष्टि के कारण, पापा
आपने कैसे हिम्मत कर ली।
हो गई फसल बर्बाद, पापा
तो आपने आत्महत्या कर ली।
दादी को दवा लानी थी, पापा
आपने तो सल्फास खा ली।
डोली सजानी थी, पापा
आपने तो अर्थी सजा ली।
शादी की तैयारी करनी थी, पापा
आपने तो श्मशान जाने की तैयारी कर ली।
बारात मेरी बुलानी थी, पापा
आपने तो अपनी शवयात्रा निकाल ली।
स्वागत मेहमानों का करना था, पापा
आपने तो यमराज से दोस्ती कर ली।
निमंत्रण शादी का छपवाना था, पापा
आपने तो अपनी श्रृद्धांजलि छपवा ली।
पंडित से फेरों की बात करनी थी, पापा
आपने तो गरूड़ पुराण की बात कर ली।
कन्यादान तो करना था, पापा
आपने तो जीवन लीला समाप्त कर ली।
आशीर्वाद मुझे देना था, पापा
आपने तो संसार से विदाई ले ली।
आंसू मेरी विदाई पर बहाने थे, पापा
आपने तो पहले ही आंखें बंद कर ली।
ससुराल मुझे भेजना था, पापा
आपने तो यमपुरी की यात्रा कर ली।
पीले हाथ बेटी का करना था, पापा
आपने तो पहले मुठ्ठी बन्द कर ली।
दुल्हन का जोड़ा मुझे पहनाना था, पापा
आपने तो कपन की तैयारी कर ली।
मेरे लिए साड़ी लानी थी, पापा
आपने तो फटी धोती में विदाई ले ली।
चिंता मेरी शादी की थी,
पापा
आपने तो अपनी चिता जला ली।
ख़ुशी का माहौल था, पापा
आपने जीवनभर गम की घूंट पी दी।
पापा आपने ने संसार विदाई ले ली।
पापा आपने विदाई ले ली,
पापा आपने विदाई ले ली।
विष्णु शंकर मीणा
गांव हरीनगर तह पीपल्दा कोटा राजस्थान