देश से प्रेम करो.
देश से प्रेम करो.
मेरे देश को तुम यों न बर्बाद करो।
देश वासियों मानवता का ख्याल करो।।
मत फोडो मेरा देश देश को प्रेम करो
संघो लालच देश के हित में बन्द करो।।
आज बटा घर का आँगन है छत्तीसग़ढ है
जख्म भरा माँ का दामन नक्सल वाद है।।
जाँत पाँत मेंं भेद रखो न देशवासियों
इन्सानियत का पाठ पढाओ मेरे दोस्तों
सरकारी नौकरी नहीं तो फर्जी डिग्री क्यों देना
देखो डगमगा रहा युवा बेरोजगार है।।
करो तुम्हीं कुछ त्याग अब थोड़ा रहम करो
लडो न झगड़ो आपस में सब प्यार करो।।
हम पें अंगुली उठा के आँख दिखाने की कोशश
अपनी 2 कल्पनाओं को थोड़ा तो साकार करो।।
विदेशी की साजिश वनस्पति सम्पदा हड़पने की
भाई से भाई लड़वाने की कोशिश नाकाम करो।।
फिरकापरस्ती घुसपैठो को मार भगाओ दूर करो
पाकवासियों को अपनी भूमि से दूर रखो।।
सरहद पार शहीद हुए जो उनसे खूनी रिश्ता है
उजड़ी मांगे टूटी बांहे हम पें कुछ उपकार करो।।
अपने पड़ोसी की बातों पर गौर करो
श्रमिक वर्ग के पलायन पर ध्यान करो।।
नीम हकीम की दुकानों को बन्द करो
रोग न फैले किटाणु नाशक का छिड़काव करो।।
कृष्कों की भूमि मत छीनों अधिकार वापिस कर दोo
वायो तकनीकि कृषि शिक्षा उच्च शिक्षक पर गौर करो।।
देश के नेताओं को कुर्सी प्यारी है
घुट घुट सहना जनता की लचारी है।।
देश के दलालों की अब फिर वारी है
चमन साफ रख शहरों का विकास करो।।
हँसी ठिठोली नचले कार्यक्रम अब टी. वी.से बन्द करो
कालाबाजारी चोरी डकैती में कुछ तो नकेल धरो।।
आज देश में फैली मारा मारी है
गुंडा गर्दी जगह जगह रंगदारी है।।
जनता को नौटंकी प्यारी लगती है
जिंदगी को जीना लाचारी लगती है।।
आज देश मे फैली कोरोना महामारी है
देखो तन कर बैठा गद्दी पें भृष्टाचारी है।।
अपनी अपनी आत्माओं को शुद्ध करो
बाल विवाह और गौ की हत्या बन्द करो।।
सूरज चाँद को सुब्ह शाम प्रणाम करो
जीना है तो श्रीराम कहो आराम करो।।
काली की बातों का कुछ तो ख्याल करो
देशवासियों मानवता का ख्याल करो।।
काली दास ताम्रकार काली जबलपुरी
फिल्मी गीतकार