मातृशक्ति ने किया पथ संचलन
मातृशक्ति ने किया पथ संचलन
लखनऊ। विश्व हिंदू परिषद, अवध प्रांत की मातृशक्ति व दुर्गा वाहिनी की ओर से रविवार को विशालखंड, गोमतीनगर स्थित सी०एम०एस० में त्रिशूल दीक्षा व मान वंदना यात्रा (पथ संचलन) का आयोजन किया गया। वीरांगना रानी दुर्गावती व लोकमाता अहिल्या बाई होल्कर की स्मृति में आयोजित इस कार्यक्रम में सैकड़ों महिलाएं/बालिकाएं शामिल हुई। वहीं महिलाओ/बालिकाओं ने त्रिशूल दीक्षा एवम बलवती होने व हिंदू तथा हिंदुत्व की रक्षा की शपथ ली। पथ संचलन का शुभारंभ महिला आयोग की उपाध्यक्ष श्रीमती अपर्णा यादव ने भगवा ध्वज उठा कर जय श्री राम बोल कर किया।
पथ संचलन में प्रांत, जिले, प्रखंड एवम खंडों के पदाधिकारी एवम अन्य हिंदू महिलाओं एवम बालिकाओं की भागीदारी रही, सभी ने हर्ष उल्लास और संकल्प के साथ समारोह में भाग लिया…
[09/12, 22:00] Sangam Tripati Sir: पण्डित बेअदब लखनवी व आनन्द श्रीवास्तव को मिली विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि
लखनऊ की सुप्रसिद्ध भास्कर साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था के तत्वावधान में अलीनगर सुनहरा, कृष्णानगर, लखनऊ स्थित एस एस डी पब्लिक स्कूल के मानव धर्म मन्दिर प्रांगण में संस्था के पांचवें स्थापना दिवस के अवसर पर सम्मान समारोह व कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार यदुनाथ सुमन ने की। अमलेश अमल मुख्य अतिथि, शिवनाथ सिंह शिव विशिष्ट अतिथि, वरिष्ठ शायर डॉ एल पी गुर्जर व कवयित्री डॉ कुसुम चौधरी अति विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। समारोह का शुभारंभ मंचस्थ अतिथियों द्वारा सरस्वती माँ के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित कर डॉ प्रेम शंकर शास्त्री बेताब के कुशल संचालन एवं सुमधुर वाणी वन्दना से हुआ। डॉक्टर प्रेम शंकर शास्त्री बेताब ने पढ़ा -पकड़कर हाथ की चलना जो सिखाता है। पण्डित बेअदब लखनवी ने पुलिस विभाग के जांबाजों पर फख्र जताते हुए पढ़ा – निकलते रातों में काली, जो सीना तानकर यारों। है उनकी बात मतवाली, जो जीना जानते यारों।।
शिवनाथ सिंह शिव ने पढ़ा – सबको मिले सम्मान, ऐसा मंत्र चाहिए।
होवे नहीं अन्याय, ऐसा तंत्र चाहिए।।
न धर्म भाषा की हो बंदिशें।
जनतंत्र की सेवा का मूल मंत्र चाहिए।।
श्रीमती शोभा सहज ने पढ़ा – कभी तेरी आँखों में सपने नहीं आते हैं।
डॉ राम राज भारती ने पढ़ा – सज्जनों के साथ मीठे, दो बोल जिन्दगी है। उन्होंने डॉक्टर साहब दीन दीन को 21वीं शदी का कबीर बताया।
डॉक्टर कुंवर आनन्द श्रीवास्तव ने पढ़ा – यूँ वक्त बेवक्त मेरे घर पर मत आइयेगा।
नीतू आनन्द श्रीवास्तव ने पढ़ा – वक्त रहते स़ज़र इक लगा लीजिए, हो कड़ी धूप पर छांव मिलती रहे।
अशोक विश्वकर्मा गुंजन ने पढ़ा -सबको जाना एक दिन, पहले या फिर बाद।
ऐसा कर लो कार्य तुम, याद करे संसार।
कन्हैया लाल जायसवाल ने पढ़ा -बात का कितना पड़े प्रभाव, स्वजन का लगता नहीं अभाव। चन्द पल हो या लम्बी भेंट, बना लेती है दिल में ठाव।
शायर अनिल चौधरी ने पढ़ा –
वक्त बदलेगा ये हालत बदल जाएंगे।
लोग बदलेंगे ख़यालात बदल जाएंगे।।
कृष्ण कुमार मौर्य सरल ने पढ़ा – गंगा जमुना की रवानी नहीं बचा पाए।
अपने पुरुखों की निशानी नहीं बचा पाए।।
चांद पर पानी ढ़ूंढ़ने की होड़ है लेकिन।
हम अपनी आँखों का पानी नहीं बचा पाए।।
अमलेश अमल ने पढ़ा – दर्द हो जाता है दूर जब भी वो हुआ करती है, मर के भी जो जीवन दे दे, वो माँ ही हुआ करती है।
इनके अतिरिक्त मंचस्थ डॉ एल पी गुर्जर, डॉ कुसुम चौधरी, यदुनाथ सुमन, व लखनऊ शहर के डॉ गोबर गणेश, डॉ अरविंद रस्तोगी, डॉ अर्श लखनवी, देवेंद्र पाण्डेय, ज्ञान प्रकाश रावत, मुकेशानन्द, डॉ शरद पाण्डेय शशांक, डॉ अल्का अस्थाना, पवन कुमार जैन, रामानन्द सैनी, डॉ राकेश प्रताप सिंह, डॉ साहब दीन दीन, श्रीमती मंजू सैनी आदि ने भी सुन्दर काव्य पाठ किया। समारोह के मध्य पण्डित बेअदब लखनवी व आनन्द श्रीवास्तव को विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर, बिहार द्वारा विद्यावाचस्पति की मानद उपाधि प्रदान की गई। समारोह में उपस्थित समस्त साहित्यकारों माल्यार्पण के साथ साहित्य भास्कर सम्मान से सम्मानित भी किया गया।