छठ पर्व
छठ पर्व
दिवाली के छठे दिन
मनाये लोग चार दिन
सूर्य देव की आराधन।
श्रद्धा के साथ लगन।
छठ पर्व मनाना है। केशवा।
सूर्य देव की उपासना ।
लिए हैं लोग कामना ।
बनाये रखे अनुशासन ।
करे लोग व्रत धारन।
बने भक्तों की आस्था। केशवा।
सृष्टि का लोक मात्रृका ।
हैं षष्टी शक्ति माता का
पहले पूजा करने का ।
आस्था बनाये रखने का।
शुरू किये सूर्य देव है। केशव।
छठ माता की प्रतिमा ।
सूरज की है लालिमा ।
उपासना की गरिमा ।
प्रसाद की है महिमा ।
बनाये रखें छठी मांँ। केशवा।
पहला दिन नहाय खाय।
यथासंभव तथा समय।
पूजा करना है सौभाग्य ।
मनोवांछित फल भाग्य।
छठ पूजा से हैं पाये। केशवा।
डूबते सूर्य अर्घ्य अर्पण।
करू सूर्य को समर्पण ।
श्रद्धा मन ही तेरा दर्पण।
मन व्रत धारी का दर्पण।
छठ पूजा महान पर्व हैं। केशवा।
नदी स्नान हैं करना ।
भक्ति भाव को धरना ।
लोगों का गीत गाना ।
सेवा भाव सबमें होना।
खरना पूजा घना है। केशवा।
एक बार ही है खाना ।
कद्दू जरूर बनाना ।
मूंँग दाल और चना ।
चावल सहित बनाना ।
मिट्टी की चूल्हे में बनाना। केशव।
वर्ष अंत तक खुशी ।
संपूर्ण स्वास्थ्य
रहे सभी कोई निरोग ।
मिले सबका सहयोग ।
खुशी की करते मांँग ।
छठ माँ की आराधना है । केशवा।
ना ही तो वयो भद है।
ना लिंग भेद होता है।
ना धर्म भेद होता है।
केवल आस्था संबंध है।
छठ पूजा शुभ लाती है। केशवा।
मीनुग सुनीता
हिंदी अध्यापिका
आंध्र प्रदेश राज्य