31 अक्टूबर :राष्ट्रीय एकता दिवस विशेष
31 अक्टूबर :राष्ट्रीय एकता दिवस विशेष
इकतीस अक्टूबर पुण्य तिथि,
अठरह सौ पचत्तर नाडि यार।
गुजरात की धरती जन्म लिया,
कुल लेउआ पटेल पाटी दार।।
वह थे बचपन से ही मेधावी,
कृषि कार्यों में हाथ बटाते थे।
रग रग में भरा था स्वाभिमान,
सच,देशहित पर अड़ जाते थे।।
लंदन से वकालत पास करी,
अहमदाबाद से वकीली अपनाई।
गाँधी जी के एक आह्वान पर,
देशहित में बैरिस्टरी ठुकराई।।
आंदोलन आजादी के कूद पड़े,
थे क्रांतिकारी देश के रखवाले।
नेहरू सुभाष सी प्रतिभा उनमें,
सरदार लौह पुरुष थे मतवाले।।
दिखने में जितने वह थे कठोर,
उतना ही था नम्र ह्रदय उनका।
अगुआई कर बारदौली सत्याग्रह,
‘सरदार’ था नाम पड़ा उनका।।
देश की विषम समस्या देखकर,
जहां राष्ट्रीय चेतना के भाव उठे,
बारदौली फिर न्याय दिलाकर,
वह लोगों के अगुआकार बने।।
सब राज्यों का एकीकृत करके,
देशी रियासतों का विलय किया।
पायी स्वतंत्रता,पर विकट घड़ी थी,
कश्मीर हैदराबाद विलय किया।।
गाँधी जी के बस एक इशारे पर,
पीएम उम्मीदवारी छोड़ी थी।
देश को एकीकृत करके सब,
राजनीति सियासत मोड़ी थी।।
माउंटबेटन की शातिर चाल रोक,
सब निडर होकर फैसले लेते रहे।
किसी तरह विभाजन रुकवा सकें ,
वेटेन,नेहरू-जिन्ना से सदा अड़े रहे।।
लिए अखंड देश का सपना वो,
निडर लौहपुरुष सम खड़े रहे।
कर्मठता और नेतृत्व के बल पर,
गृह युद्ध अशांति को रोक रहे।।
अनुच्छेद -310 को हटाकर,
एकता अखंडता की मूर्ति बने।
आजाद भारत के गृहमंत्री बन,
भारत एकता की पूर्तिमूर्ति बने।।
भगवानदास शर्मा ‘प्रशांत’
शिक्षक सह साहित्यकार
इटावा उत्तर प्रदेश