प्रवास मेरा नया जन्म आयोजन सम्पन्न
प्रवास मेरा नया जन्म आयोजन सम्पन्न
हिंदी दिवस और आजादी का अमृत महोत्सव पर, साझा संसार नीदरलैंड्स की पहल पर ‘प्रवास मेरा नया जन्म’ आयोजन ऑनलाइन संपन्न हुआ। इस आयोजन की अध्यक्षता जापान से वरिष्ठ कवयित्री, लेखिका और सम्पादक श्रीमती रमा शर्मा ने की। रूस से प्रगति टिपणीस ने मुख्य वक्ता के रूप में व अमेरिका से आस्था नवल, इण्डोनेशिया से वैशाली रस्तोगी व मॉरीशस से सुश्री सान्वी काशीनाथ, नीदरलैंड से विश्वास दुबे ने इस आयोजन में भाग लिया।
आयोजन के स्वागत वक्तव्य में रामा तक्षक ने सभी प्रतिभागियों व श्रोताओं का स्वागत करते हुए कहा कि साझा संसार का सृजन मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से एक प्रेरणा रही है। इस प्रेरणा को श्री लीलाधर मंडलोई का मार्गदर्शन मिला है। यह आयोजन पिछले चार बरस से लगातार आयोजित किया जाता रहा है। प्रवासी साहित्यकार के चहुंओर जीवन की नयी धड़कन है। जीवन के इसी नये अनुभव को शब्दों में पिरोकर, प्रवासी साहित्यकार हिंदी साहित्य को समृद्ध करने मेंं, बहुत बड़ा योगदान दे सकता है।
वैशाली रस्तोगी ने प्रवास की वेदना को चित्रित करते हुए मैं प्रवासी, मैं प्रवासी रचना का पाठ किया और दोहे भी सुनाए। सुश्री सान्वी काशीनाथ ने ‘मैं नदी हूँ’ शीर्षक के साथ कविता पाठ में, नदी के महत्व और पर्यावरण की चिंताओं को उजागर किया। आस्था नवल ने ‘खारा पानी’ रचना के माध्यम से प्रवास की तीक्ष्ण वेदना और मानव सिर जोड़ का जीवंत चित्रित किया।
मुख्य वक्ता प्रगति टिपणीस ने जिंदगी उड़ान है एक शीर्षक के माध्यम से बताया कि संस्कृत का ज्ञान रूसी भाषा सीखने में सहायक है। साथ ही उन्होंने रूसी जमीन का प्राकृतिक वर्णन, देश के मौसम, रूस की शासन व्यवस्था और वहाँ के जीवन को सुंदर ढ़ंग से रेखांकित किया। उन्होंने अपनी यात्रा वर्णन में जॉर्जियाई आथित्य सत्कार के बारे में विस्तार से बताया।
अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में रमा शर्मा ने जापानी जीवन की रोचक जानकारियाँ श्रोताओं से साझा की। उन्होंने प्रवास को आँखें खोलते हुए शिशु अवस्था की संज्ञा देते हुए कहा कि जापान पहुँच कर, शिशु सा चलते हुए अपने आस पड़ौस से जापानी भाषा को बोलना सीखा। जब चलना, बोलना और खाना आ गया तो जीवन जीना भी आ गया।
आयोजन के अंत में, रामा तक्षक ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए ‘दिव्य कॉमेडी’ रचना सुनाई। विश्वास दुबे ने मंच संचालन के साथ साथ, उन्होंने प्रवास मेरा नया जन्म’ आयोजन पर विस्तार से बताया कि इस आयोजन में हजारों भावों का समावेश है। साथ ही उन्होंने अपनी मार्मिक रचना का पाठ भी किया।
रामा तक्षक