गुरु जी
गुरु जी
मेरी हिंदी के प्रेरक है आप
मेरे परिश्रम में श्रम है आप
मेरे मन का आनंद वचन है आप।
मेरे प्रश्न का उत्तर है आप।
मेरे मार्ग में धर्म बोध है आप।
मेरी रचना का भाव है आप।
मेरे कार्य का आचरण है आप।
मेरे सृजन के सहभागी है आप।
गुरु संगम जी आपके चरणों मे वंदन है।
गुरु जी आपका आशीर्वाद मुझे सदा दीजिए।
डॉ गुंडाल विजय कुमार
हैदराबाद तेलंगाना