पर्यावरण का सिपाही (लघुकथा)
पर्यावरण का सिपाही (लघुकथा) कमलल्ल्ल्ल्ल्……….. गुस्से से आंख लाल करते हुए, एवं लगभग खूब जोर चिल्लाते और गरजते हुए,___राम दयाल अपने पोते पर उबल पडे……. क्या हुआ दादा जी…? दादा जी के बच्चे. … यह तुमने क्या कर डाला..? क्या कर डाला हमने…? बताइये तो सही…. तुमने कुड़ेदान में जो [...]