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जय जय श्री रामलला

जय जय श्री रामलल

” भए प्रगट लला, श्री दीनदयाला, करुणासिन्धु खरारि।
हरषित नरनारी, मन बलिहारी, अद्भुत रूप निहारि।।”

” लोचन अभिरामा, तनु घनस्यामा, राम लला हितकारी।
भूषण बनमाला, नयन विशाला, अद्भुत रूप बिचारी।”

” कर दुई हम जोरी, स्तुति तोरी, करहिं नाथ श्रीकंता,
करुणा सुख सागर, सब गुण आगर, राम प्रभु भगवंता।”

दोहा-
” सदियां बीतीं टैन्ट में, रहा लला का वास,
आए निज प्रासाद में, प्रभु श्री जगन्निवास।”

प्रदीप मिश्र “अजनबी”।

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