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“तुलसी विवाह “

“तुलसी विवाह “

शिवजी ने अपना तेज समुद्र में फेंक दिया था
जिस से महातेजस्वी बालक का जन्म हुआ था
वह जलंधर नामक राक्षस प्रवृत्ति वाला था
आगे चलकर पराक्रमी दैत्य राजा बना था
दैत्यराज कालनेमी की कन्या वृंदा से शादी किया विजया!

माता लक्ष्मी को पाने की इच्छा से युद्ध किया
लक्ष्मी जलंधर को भाई के रूप में स्वीकार किया
क्योंकि जलंधर भी समुद्र से ही जन्म लिया
पराजित वह देवी पार्वती को पाने कैलाश गया
जलंधर भगवान शिव का रूप धारण किया विजया!

माता पार्वती योग बल से उसे पहचान लिया
देवी पार्वती वहां से तुरंत अंतर्दन हो गया
जालंधर ने भगवान शिव से ही युद्ध किया
पार्वती ने सारा वृत्तांत भगवान शिव को सुनाया
जालंधर की पत्नी वृंदा अत्यंत पतिव्रता स्त्री थी विजया!

पत्नी की पतिव्रता धर्म शक्ति से न मारा जाता था
राक्षस वृत्ति वाले को नाश करना कठिन था
वृंदा के पतिव्रता धर्म को भंग करना था
भगवान विष्णु ने ऋषि का रूप धारण किया था
दो राक्षसों के साथ वन में वृद्धा के पास गया था विजया!

वृंदा राक्षसों को देखकर भयभीत हो जाती है
ऋषि रूपी विष्णु ने राक्षसों को भस्म कर देता है
मुनि के द्वारा अपने पति के बारे में जानती है
जालंधर महादेव से ही युद्ध कर रहा है
कैलाश पर्वत पर पति के हरकते देखती विजया!

मुनि माया जाल से दो वानर प्रकट करता है
एक वानर के हाथ में जालंधर का सिर है
दूसरे वानर के हाथ में उसका धड़ देखी है
पति की दुर्दशा से वृंदा मूर्छित हो जाती है
पति को जीवित करने की विनती करती है विजया!

माया से जालंधर का सिर धड़ से जोड़ दिया
विष्णु स्वयं भी वह शरीर में प्रवेश किया
पतिव्रता वृंदा इसके बारे में नहीं जान पाया
कोई अपने पति के शरीर में प्रवेश किया
वृंदा विष्णु के साथ पतिव्रता का व्यवहार किया विजया!

जिससे वृंदा का सतीत्व भंग हो जाता
वहां कैलाश पर्वत पर जालंधर हार जाता
जब वृंदा को विष्णु जाल का पता चल जाता
विष्णु को हृदयहीन शिला होने का श्राप देता
अपने भक्त के श्राप को भगवान स्वीकार किया विजया!

भगवान विष्णु शालिग्राम पत्थर बन जाते हैं
ब्रह्मांड में असंतुलन की स्थिति हो जाती है
सभी देवताओं ने वृंदा से प्रार्थना करते है
श्राप से मुक्त करके स्वयं आत्मदाह करती है
जहां वृंदा भस्म हुई वहां तुलसी का पौधा उगा विजया!

भगवान विष्णु ने वृंदा से ऐसा कहता है
आप अपने सतीत्व से मुझे लक्ष्मी से भी ज्यादा है
तुलसी के रूप में सदा तू मेरे साथ रहती है
कार्तिक माह में देवउठनी एकादशी आता है
उस दिन लोग तुलसी विवाह पर्व मनाते हैं विजया!

जी.विजयमेरी, अनंतपुर जिला ,आंध्रप्रदेश

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